महफ़िल में तेरे इश्क़
महफ़िल में तेरे इश्क़ का इज़हार कर दिया
अब तो नज़र मिलाओ क्यों बेकरार कर दिया
महफिल में तेरे इश्क़......
हद से बढ़ रही हैं मेरी बेकरारियां
हो रहीं हैं तेरे इश्क़ की ऐसी खुमारियां
तीर ए नज़र इस दिल के क्यों पार कर दिया
महफ़िल में तेरे इश्क़.......
अब कैसे लौट जाएँ घायल हैं इस कदर
बेखुद से हो रहे हैं कुछ भी नहीं खबर
तुमने यूँ हमको इश्क़ में गिरफ्तार कर दिया
महफ़िल में तेरे इश्क़.........
तेरा करम हुआ तो पिए इश्क़ के हमने जाम
हो गयी है ज़िन्दगी ये सांवल तेरे ही नाम
तेरे इश्क़ ने मुझको दुनिया से बेकार कर दिया
महफ़िल में तेरे इश्क़......
हर पल अब साथ रहना हम हो चुके हमारे
तेरी नज़र से देखूं मैं दुनिया के सब नज़ारे
तेरे सिवा कुछ देखने से इनकार कर दिया
महफ़िल में तेरे इश्क़...
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