मैंने तुझसा कोई कहाँ
मैंने तुझसा कोई कहाँ देखा
बस तेरा इश्क़ ही देखा जहां जहां देखा
मैंने तुझसा कोई.......
सनम इश्क़ करना ही तेरी आदत है
क्या खूब है जो है तेरी मोहबत है
हर और इसका ही मैंने बयाँ देखा
मैंने तुझसा कोई कहाँ देखा
झूठ ही कहते है सब तुम लूट लेते हो
सच तो ये है की तुम अपनी मोहबत देते हो
मैं तुमको मोहबत पर होते क़ुर्बान देखा
मैंने तुझसा कोई कहाँ देखा
दिल में उठती है मोहबत की ही तरंग तेरे
मिलने की होती है दिल में ही उमंग तेरे
दिल में तेरे ही मोहबत का आशियाँ देखा
मैंने तुझसा कोई कहाँ देखा
बस तेरा इश्क़ ही देखा जहां जहां देखा
मैंने तुझसा कोई कहाँ देखा
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