चंचल मदमाते नैना

चंचल मदमाते नैना हाथन में मुरली श्याम धरे !
देखत ही अनूप छवि मोहन सखी कैसो मोहे धीर परे !!
अंग अंग सों सौरभ छलक रह्यो  चितवन ऐसी प्राण धरे !
अब आये मिलो नन्दलाल मोहे बाँवरी कब तक पीर जरे !!

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आय मिलो नन्दलाल अबहुँ मोरे मन को ताप हरो !
देखूं छवि तेरी मोहन छवि सों मोहे नहीं चैन परो !!
कबहुँ ताप मिटे हिय को कबसों हिय को ताप बरो !
तुम्हीं के किये सब होये मोहन अब और नहीं कछु देर करो !!

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