मोहे रख लीजो
मोहे रख लीजो श्यामा अपने चरण माँहि निज महलन की बुहारिन बनाय लीजो
बन जाऊँ रज श्यामा तेरे चरणों की दासी अपनी को अबहुँ अपनाय लीजो
चरण पड़ी श्यामा तोहे ही पुकारूँ मैं कौन घड़ी आवे लाडली चरण लगाए लीजो
मेरो मस्तक पर पग धर दीजो स्वामिनी भव बुद्धि सारी मेरो बिसराय दीजो
पकर कर मेरो निकाल लीजो श्यामा प्यारी मोहे जग जंजाल सों छुड़ाए लीजो
कौन मेरो ठौर लाडली तुम्हीं एक मेरी प्यारी अबहुँ मोहे दासिन की दासी बनाय लीजो
महल बुहारी करूँ कुञ्ज सजाऊँ नित निज चरणन की सेवा में बिठाय लीजो
कर जोर विनय मेरी मान लीजो स्वामिनी मोहे ब्रज की अबहुँ रज बनाए दीजो
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