गुरु महिंमा
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नमोः नमोः श्री गुरुवर
शीश धरूँ तव चरणन माहिं
गुण गाऊँ आपके नित्य प्रभुवर
सुख पाऊँ तव दर्शन माहिं
जो भी गुरु शरण में आन पड़ा
निश्चित उसका उद्धार हुआ
गुरु आप सम्भालें जब नैया
फिर वो भव सागर पार हुआ
दर्शन की अभिलाषा गुरुवर
कब चरण आपके पखारूँ मैं
कब श्रध्दा सुमन मैं अर्पित करूँ
कब सुंदर छवि निहारूँ मैं
दीजो अब भिक्षा मोहे नाथ
युगल प्रेम की मैं आस करूँ
हैँ परम् कृपालु गुरुदेव मेरे
मैं क्यों नहीं विश्वास करूँ
मेरी आस बनाये रखना गुरुवर
कर जोर मैं करूँ वन्दन
हो कृपा भरा हाथ सदा सिर पर
मेरे गुरुवर आपको मेरी नमन
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