सच
तेरी बेपनाह मोहबत नहीं देखी मैंने
खुद को ही मैंने हर जगह देखा
तुमने फिर भी बहुत सम्भाला मुझे
मैंने खुद को गिरता नहीं देखा
कभी नहीं सज़दा किया दिल से तुम्हें
नहीं तुमको अपना कभी हुआ देखा
बहती रही जज्बातों की लहर में ही
इनमें भी तुमको ना जुड़ा देखा
अब मैं खुद पर भी शर्मिंदा हूँ
सुकून नहीं हाय क्यों जिन्दा हूँ
एक सौदा ही समझा मोहबत को
खुद को तेरा हुआ नहीं देखा
या खुदा मेरी हस्ती मिटा दो अब
मुझमें तेरा होना ही नहीं देखा
तुम ही रह जाओ मेरी मैं ना रहे
सच तो ये है कोई तुमसे नहीं देखा
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