आशिकों का नसीब
क्या है तेरे आशिकों का नसीब
बस तिल तिल करके जलना
आहों और अश्कों की जागीर का
पल पल बढ़कर ही मिलना
हूँ पत्थर तो मुमकिन नहीं है
इश्क़ में तेरे कुछ पिघलना
साँस साँस जो भीतर आती है
मुश्किल हुआ है सम्भलना
क्यों पकड़ ली मैंने राह इश्क़ की
आता नहीं जब चलना
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