कत्ल करने की अदा

तेरे कत्ल करने की भी अदा खूब है
कर भी गए और मुड़कर नहीं देखा

मेरे अश्कों का कतरा कतरा गवाही देगा
देख तेरा इश्क़ कितना अज़ीज़ मुझको
कैसे कहूँ मैंने तुमसे है इश्क़ किया
तेरे इश्क़ से ही फुर्सत नहीं है मुझको

तेरा इश्क़ ही तो इबादत है मेरी
और बता किस तरह इबादत होगी

किसी के इश्क़ ने मदहोश किया मुझे
और ज़ुबान पर उसका नाम आता नहीं

इश्क़ भी कहाँ करना आया मुझको
तेरा इश्क़ ही मेरी ज़िन्दगी है
तुझे चाहना ही काम मेरा
तेरा इश्क़ ही मेरी बन्दगी है

कभी दिल करता है की सब छोड़ दूँ अब
पर तेरा इश्क़ चैन से बैठने नहीं देता
हर किसी को तेरे इश्क़ का बता दूँ मैं
क्यों छिपा लूँ तुमने कम तो नहीं दिया

हैं इश्क़ के एहसास कैसे कैसे
दूर भी हैं और पास कैसे कैसे
मन में हैं विश्वास कैसे कैसे
पल पल है तू पास कैसे कैसे

बेचैन करके नहीं छोड़ो यूँ इश्क़ में
क्यों चाहने वालों के इम्तिहान लेते हो
कह दो हस कर जान भी दे देंगे साहिब
दिल में छुपे हो तुम सब जान लेते हो

कभी कभी यूँ बेकरारी के आलम हैँ
कभी कभी तेरे इश्क़ की खुमारी के आलम हैं
कभी आलम हैँ दर्द के और तन्हाई के
कभी कभी तेरी दिलदारी के आलम हैँ

यूँ नहीं मुझे इश्क़ किया करो सनम
कभी कत्ल करने का इरादा करके आओ
अब आए हो तो लौटना नहीं वापिस तुमको
इस बार मेरे होने का वादा करके आओ

देखो यूँ नहीं सज सज कर आया करो
चाहने वाले तो पहले से लुटे बैठे हैँ

यूँ नहीं दिल पर कटार चलाओ प्यारे
हम यूँ ही सब लुटाए बैठे हैँ

कब तक अपनी आदत नहीं छोड़ोगे
कत्ल भी नहीं करोगे जिन्दा भी नही छोड़ोगे

यूँ तो हम कबके मर चुके तुम पर
सांसों का चलना जिन्दा रहने की निशानी है

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