देख ले
देख ले महबूब कैसे बेकरार हूँ मैं
अब तेरे इश्क़ में गिरफ्तार हूँ मैं
नज़र मिलाकर कत्ल करदो मेरा
आज मरने के लिए साहिब तयार हूँ मैं
देख ले......
हर बार बचती रही तेरी निगाहों से
हूँ बड़ी पागल समझी थी होशियार हूँ मैं
देख ले......
तुझसे कब दूर थी फक्त दूरी थी वहम मेरा
सोचती थी तुम उस पार इस पार हूँ मैं
देख ले......
अब रख लो यूँ अपनी ही पनाहों में
तेरी थी कब से मेरी सरकार हूँ मैं
देख ले.......
Comments
Post a Comment