मधुराति मधुर हरे कृष्ण
*मधुरातिमधुर हरे कृष्णा*
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
समस्त ब्रह्मांडों को विनादित करती हुई यह गूंज कहीं से उठ रही है , जो सम्पूर्ण सृष्टियों को रससिक्त कर रही है। इस धुनि से ही जैसे सम्पूर्ण सृष्टियाँ कार्यशील हो रही हैं, सुव्यवस्थित हो रही हैं, आनन्दमयी हो रही हैं। जैसे यह मधुर मधुर धुनि ही उनमें प्राणों का संचालन कर उन्हें गतिमान कर रही है। श्यामल बादलों में उज्ज्वल उज्जवल आभा का प्रसार हो रहा है।
अहा !! पीताम्बर धारी गौरवर्ण श्रीचैतन्यदेव श्रीश्रीगौरांग रूप में दोनो हाथ उठाय हरे कृष्ण हरे कृष्ण ......पर झूम रहे हैं, नृत्य कर रहे हैं। श्यामल आकाश में अनन्त कोटि तारागणों के मध्य यह उज्ज्वल आभा शोभायमान हो रही है। उनके साथ अभिन्न स्वरूपः श्रीनित्यानन्द प्रभु, श्रीअद्वैत आचार्य, श्रीगदाधर , श्रीवास और कई भ्क्त वृन्द नृत्य कर रहे हैं। सम्पूर्ण ब्रह्मांडों में एक ही धुनि गूंज रही है हरे कृष्ण हरे कृष्ण ......जैसे इसी के श्रवण से सभी प्राण धारण किये हुए हैं। गौरचन्द्र के नेत्रों से अविरल अश्रुधारा प्रवाहित हो रही है और वह उद्दंड नृत्य कर रहे हैं।
श्रीनारद मुनि अपनी वीणा बजाते हुए वहां उपस्थित हो रहे हैं, आज नारायण नारायण न गाकर हरे कृष्ण हरे कृष्ण....गा रहे हैं। श्रीप्रभु के इस रूप से , इस नृत्य से उन्हें विशेष सुख हो रहा है। अनन्त कोटि देवी देवता उसी श्यामल आकाश में गोल चक्र रूप में इन सभी की परिधि बनाकर इन्हें निहार रहे हैं, नेत्रों को सुख दे रहे हैं, इन पर पुष्प वर्षा कर रहे हैं। कभी वह उन्मत्त गौरांग को तो कभी आलिंगित युगल को निहार रहे हैं। श्रीवंशी धारी प्रभु वंशी वादन कर रहे हैं तथा उनकी प्राणा श्रीराधा उनके साथ आलिंगित हुई शोभायमान हो रही हैं।
एक ओर श्रीगौरांग प्रभु अपने अभिन्न स्वरूपों में प्रकट हैं दूसरी ओर श्रीयुगल। सभी नेत्र इस मधुरिमा का पान कर अघाते नहीं, सभी श्रवनपुट से इस पीयूष का पान कर रहे हैं ,धन्यातिधन्य हो रहे हैं। श्रीप्रभु अपनी ही रूप माधुरी, अपनी ही नाम माधुरी, अपनी ही रूप माधुरी के पान हेतु गौरांग रूप धर स्वयम भी उन्मत्त हो रहे तथा उनकी इस मधुरिमा का पान कर सभी को उन्मत्त कर रहे हैं। प्रत्येक नेत्र इसी रस में डूब रहा है, प्रत्येक रसना इसी नाम को गा रही है
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे*
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
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