अजब हंसाई कीन्हीं
हरिहौं अजब हंसाई कीन्हीं
रस की बात करै रसहीना भजन भुलाय दीन्हीं
लिख लिख पोथी सगरी राखै मूढ़े कागद कीन्हे कारै
हरिनाम सौं चित्त न भीजै बाँवरी कौन भाँति बिचारै
लोभ प्रमाद की भरी पोटरी बाँवरी हिय कल्मष भारी
नामविहीना फिरै जगति माँहिं रहै जन्मन जन्म बिगारी
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