प्रेम की हाट 1

श्रीसद्गुरु मेरे खोलि प्रेम कौ हाट
प्रेम की सगरौ रसद राखी जी प्रेम कौ राखै बाट
आवै कोऊ जोई श्रद्धा चित्त देवै लेवै प्रेम देय मोल
जिव्हा राखै हरिनाम सदा सौं बोले मुख ते मीठे बोल
प्रेम कौ सौदा करै कोऊ बिरला करै प्रेम ब्यौहार
नाव चढ़ावै सद्गुरु ऐसी दिये चुकाई करै भव सौं पार

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