अजब तुम्हारी बात

हरिहौं अजब तुम्हारी बात
गूंगे कौ कहौ बोल सिखावै अपनी बनत न बात
लँगरै कौ कहौ नाच सिखावै आपहुँ चलै न लात
बहरे कौ कहौ राग सिखावै कानन बात न आत
नामविहीना बाँवरी लिखै नाम महिमा काहे नाँहिं सकुचात
नाम भजन जिस आपहुँ न कीन्हा बिरथा जन्म गमात

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