रस बांवरे युगल

*रस बाँवरे युगल*

      श्रीनिकुंज मन्दिर में रस बांवरे युगल रस में अलिंगन में हैं। दोनो एक देह एक प्राण हो चुके हैं तथा सम्भल नहीं पा रहे हैं। कहीं पैर रख रहे हैं तो कहीं पैर पड़ रहे हैं। सेवामयी दासी उन्हें संभालती जा रही है परन्तु दासी की दशा ऐसी हो रही है कि अपने प्राण श्रीप्रियाप्रियतम को संभाल ले या निहार ले। उनके पैरों के नीचे पुष्प की पंखुड़ियां बिछाती हुई उनके साथ साथ चल रही है। ललिता जु की वीणा से छूटा एक रस अणु जो धरती पर पुष्प रूप में होकर भीतर से मकरन्द अणु पराग होता हुआ उन रसमत श्रीयुगल चरणों को नित्य नव लालित्य प्रदान करना ही इस सखी की सेवा है। पूरे भाव अनुभव में उतरने हेतु श्रवण कीजिये।

जय जय श्रीश्यामाश्याम !!

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