हरिहौं नेकहुँ ल्यो निकार
हरिहौं नेकहुँ लेयो निहार
पतित जनन कौ तुम्हीं नाथा कीजौ कृपा विस्तार
हा हा नाथा कंगाल जन्मन कौ पड़ी तिहारे द्वार
तुम्हरौ एक कोर कृपा की हरे जन्म जन्म कौ भार
दीजौ भिक्षा हरिनाम की नाथा जिस कारण लियो अवतार
बाँवरी अति कंगाल जन्म सौं तुम साँचो दाता दातार
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