इस इश्क़ के इम्तिहान

इस इश्क़ के बता क्यों इम्तिहान अभी बाक़ी हैं
टूटे से इस जिस्म में क्यों जान अभी बाक़ी है

खण्डहर सा हो चुका है कबसे यह दिल मेरा
न समझना तेरे रहने को मकान अभी बाक़ी है
इस इश्क़ के .......

हम तो समझते रहे दिल तुम पर लुटा दिए
झाँका जो गिरेबान में नादान अभी बाक़ी है
इस इश्क़ के .......

खाए हैं ज़ख्म मुद्दतों से ज़माने भर से हमने
ज़ार ज़ार हुई रूह पर निशान अभी बाक़ी हैं
इस इश्क़ के ......

सोचते रहे डूब जाएंगे तेरे इश्क़ के समंदर में
उछलते रहे किनारों पर तूफान अभी बाक़ी हैं
इस इश्क़ के ........

मुझको महरूम करो मेरे ही वजूद से अब
खुद के मिटने के दिल मे अरमान अभी बाक़ी हैं
इस इश्क़ के ..........

चलो तुम ही चकनाचूर करो वजूद अब मेरा
टूटा कहाँ है मुझमें सौ गुमान अभी बाक़ी हैं
इस इश्क़ के .........

तुमसे मिले बिना चैन भी कहाँ है रूह को
घुलती सी सुलगती से मशान अभी बाक़ी है
तेरे इश्क़ के बता क्यों इम्तिहान अभी बाक़ी हैं
टूटे से इस जिस्म में क्यों जान अभी बाक़ी है

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