Awgun khaan
हरिहौं हमहुँ सकल अवगुण खान
नाम भजन सौं राखी दूरी सदा करें विषय रस पान
कोऊ होत जौ सूकरी हरिहौं विष्ठा जगति की पाती
हमहुँ विष्ठा रहै पसारी जौ भजन न रीति सुहाती
नाम भजन बिन फीका होवै मानुस देह कौ स्वादा
बाँवरी बिरथा जन्म गमाई कीन्हीं कोटिन कोटि अपराधा
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