पतिता पड़ी द्वारे
हरिहौं पतिता पड़ी है द्वारे
अबकी बेर सम्भारो नाथा जन्मन जन्म बिगारे
जन्मन जन्म बिगारे हरिहौं अबहुँ न भजन सुधि कीन्हीं
बाँवरी बिरथा स्वासा सगरी मुख सौं हरिनाम न लीन्हीं
हरिहौं भिक्षा दीजौ नाम की कछु साँचो धन बनै कमाई
पतिता बाँवरी जन्मन सौं निर्धन अबहुँ नाय सकुचाई
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