बिगरी दशा
हरिहौं बिगरी दसा हमारी
बाँवरी रहै जगति माँहिं लौटत साँचो नाम बिसारी
साँचो नाम बिसारी मूढ़े झूठो धन संचय कीन्हीं
बाता सुनी न सन्त सद्गुरु की कबहुँ कान न दीन्हीं
धिक धिक जीवन तेरौ बाँवरी बिरथा जन्म गमाई
हरि गुरु सौं नेहा न लगाई तू पतिता रही सदाई
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