Nrk was

हरिहौं दीजौ नरक माँहिं वासा
नाम बिना जावत रह्यौ जीवन बिरथा स्वासा स्वासा
बिरथा कीन्हीं स्वासा बाँवरी कबहुँ भजन चित्त न लाई
देह विषय के भोग अति गाढ़ै हरिनाम न मुख सौं गाई
ढोंग रचावै भाँति भाँति के हरिहौं कस कस चपत लगावो
पुनि पुनि देयो चुरासी फेरा विष्ठा कौ कीट बनावो

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून