गिरिराज जी
श्रीगिरिराज गोवर्धन जी श्रीकृष्ण का ही स्वरूप हैं। इनकी परिक्रमा एक ऐसी भूमि प्रदान करती है जहाँ श्रीयुगल प्रेम प्रकट हो सके। श्रीगिरिराज जी का स्पर्श अर्थात श्रीकृष्ण का स्पर्श उस प्रेमभूमि का ही स्पर्श है जिसकी उज्ज्वलता श्रीयुगल के उज्ज्वल प्रेम को ही रोपित कर पोषण करती है।श्रीकृष्ण रूप में श्रीगिरिराज गोवर्धन जी का अभिषेक , इस उज्ज्वल रस की दिव्यता का ही अभिषेक है,ऐसी सुगन्ध जिससे आह्लादित हो प्रत्येक हृदय स्वयम ही इस रस से श्रृंगारित होता जाता है, प्रेम मय होता जाता है।जय जय श्रीगिरिराज गोवर्धन !!
Comments
Post a Comment