रटत रटत

रटत रटत जन्म जावै आवै न हिय प्रेम
निष्ठा सौं हरिभजन होय जेई भजन को नेम
बिन निष्ठा रटन तोते की जन्म जन्म रस दूर
शरण कीजै रसिक की तबहुँ आनँद होय भरपूर
बाँवरी अपनी मति न कीजिये रसिकन चरणन कीजै ठौर
हिय पिघरै सांचे भजन सौं साँची चटपटी लागे और

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