अपनो नेह न साँची

हरिहौं तुमसौं नेह न साँची
छोड़ प्रेम की बात हरिहौं बाँवरी पोथी बाँची
बाँवरी पोथी बाँची हरिहौं साँचो धन रही बिसराई
गौर गौरांग नाम कबहुँ न लीन्हीं सगरी आयु बिताई
हा हा नाथा प्रेम विहीना भोगी प्रपंची भारी
भजनहीन कूकरी पतिता बाँवरी जन्मन जन्म बिगारी

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