हमहुँ सदा कंगाला

हरिहौं हमहुँ सदा कंगाला
नाम विहीना बाँवरी डोलत काहे हिय परै न छाला
जगति विष्ठा भोग रस लोभी मन्द मति कुचाला
ढोंग रचावत भाँति भाँति के हाथ न पकरै माला
बाँवरी जन्मन सौं खोटी किस भाँति हिय रहै उजाला
नाम विहीना जन्मन खोई कैसो पावै प्रेम निवाला

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