तुझसे जुदाई का गम
तुझसे जुदाई का गम सम्भलता नहीं
तेरा ख्याल दिल से अब निकलता नहीं
दर्द मुझको अब इतने अजीज हो ही गए
दर्द मज़ा देता है अब दिल मचलता ही नहीं
तुझसे जुदाई का .......
चाँद में देखा तो तेरा ही चेहरा नज़र आया
जाने क्यों ईद के जैसे चाँद निकलता नहीं
तुझसे जुदाई का.......
कभी तो हर शै में तेरा दीदार होता है
फिर भी नाम तेरा जुबान से निकलता ही नहीं
तुझसे जुदाई का.....
तेरा चेहरा उतर गया दिल में कुछ ऐसे
और कोई चेहरा अब दिल में उतरता ही नहीं
तुझसे जुदाई का .....
क्या करूँ मजबूर हो जाती हूँ दिल से
तुझसे मिला है अब और किसी से मिलता नहीं
तुझसे जुदाई का गम सम्भलता नहीं
तेरा ख्याल दिल से अब निकलता नहीं
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