देख तेरे दीवानों ने
देख तेरे दीवानों ने क्या हाल बना रखा है
ओ मोहना तूने दिल हमारा कैसे चुरा रखा है
मर भी जाएँ नहीं है मुमकिन कैसी साजिश दिल ने की
इश्क़ की इस आग में खुद को जला रखा है
देख तेरे.........
तेरी महफ़िल को छोड़ दीवाने और कहाँ जाएँ
यहीं रह जाओ क्यों आना जाना तुमने लगा रखा है
देख तेरे .......
तुमको न हम दर्द सुनाएँ और हमारी कौन सुने
तुम ही दर्द हो इस दिल के क्यों नाम दवा रखा है
देख तेरे........
हाय सांसें क्यों चलती हैँ बिन तेरे मोहन प्यारे
दिल का दुश्मन भी तू है तुझे जान बना रखा है
देख तेरे.........
मुद्दत से तुम छिपे हुए हो आज ये दिल सम्भलता नहीं
तेरे इश्क के एहसास ने तूफ़ान मचा रखा है
देख तेरे.........
तुम बिन कौन सम्भाले हमको और कौन हमारा है
एक तू ही तो अपना सबने बेगाना बना रखा है
देख तेरे.........
तुम बिन कौन सम्भाले हमको और कौन हमारा है
एक तू ही तो अपना सबने बेगाना बना रखा है
देख तेरे...........
तेरे ही इश्क़ से ज़िन्दा हैँ खुद से हम बेखुद हैं
खुद को अपने ही घर में हमने मेहमान बना रखा है
देख तेरे ..........
इतने उठे तूफानों को तुम कैसे सम्भालोगे
एक एक कतरे ने आज कितना ताब लगा रखा है
देख तेरे.........
सब कतरे तेरे ही हैं सब तुझसे ही बिछड़े हैं
तेरे बिन और कहाँ जाएँ कोई और पता ना रखा है
देख तेरे .........
नहीं इलाज़ था इसका कोई बोलो ये मर्ज़ लगाया क्यों
दर्द ही दर्द दिल में उठता है क्या से क्या कर रखा है
देख तेरे..........
रूठ भी जाएँ तो तुमसे ही शिकवे गिले सब तुमसे ही
तुम बिन और कौन है मेरा जहाँ में और क्या रखा है
देख तेरे..........
नहीं इलाज़ था इसका कोई बोलो ये मर्ज़ लगाया क्यों
दर्द ही दर्द दिल में उठता है क्या से क्या कर रखा है
देख तेरे.........
रूठ भी जाएँ तो तुमसे ही शिकवे गिले सब तुमसे ही
तुम बिन और कौन है मेरा जहाँ में और क्या रखा है
देख तेरे....,....
अब और तड़पा ना साँवरे मौत ही दे दे या आ जा
इंतहा हुई जाती दर्द की क्यों तेरा नाम खुदा रखा है
देख तेरे ..........
चल दर्द ही दे जा इस दिल के लिए इतने जख्म काफी नहीं
नींद लूट ले चैन लूट ले क्यों दर्द घटा रखा है
देख तेरे........
कोई और ही होंगें वो मोहन जिनको इश्क़ हुआ तुमसे
झूठा सा ये दिल है मेरा खुद को झुठला रखा है
देख तेरे ..........
नहीं आता मुझे इश्क़ निभाना तुम अपना वादा भूल जाओ
मुझसे झूठे से क्या इश्क़ करोगे ऐसा मुझमें क्या रखा है
देख तेरे..............
करो खामोश इस कलम को गुस्ताखी ये करती है
हर लफ्ज़ में दर्द है बहता सैलाब समा रखा है
देख तेरे ..........
दिल में कितना दर्द उठा है हाय अब तो मेरी बात सुनो
हर जख़्म से बहते लहू को दुनिया से छिपा रखा है
देख तेरे ..........
देख अपने झूठे इश्क़ की फिर आज नुमाइश की मैंने
जिनका इश्क़ सच्चा है उसने होंठ सिलवा रखा है
देख तेरे दीवानों ने क्या हाल बना रखा है
ओ मोहना तूने दिल हमारा कैसे चुरा रखा है
Comments
Post a Comment