पूनम की वो रात

पूनम की वो रात मधुर आकाश में चमके पूर्ण चन्द
बह रही निकुंज माँहिं सुवासित पवन अति मन्द

मिल्न बेला होय वृक्ष तमाल नीचे बनी पुष्प की शैय्या
श्यामा संग गलबहियाँ लेते मोहन कृष्ण कन्हैया

नित्य नवल प्रेम रंग बरसयो यही अभिलाष सखियन के हिय
युगल सदा रहें आनंदित प्रेममय रहें प्यारी के संग पिय

नित्य नवल प्रेममय जोरि नित्य नव नव सुख पाये
पुनः पुनः यही अभिलाष सब सखियन के मन आवे

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