उनकी गली में जाकर

उनकी गली में जाकर दिल सोचता है मेरा
चिलमन नहीं हटाना बेकाबू दिल है मेरा

नादान हम बड़े हैँ जाने क्या कर बैठें
जहन में रहता है हर दम ख्याल तेरा
उनकी गली .......

शोले से उठते हैँ कभी दिल ज़ार ज़ार रोये
दिल ढूंढता ही रहता है छिप जाता यार मेरा
उनकी गली .........

होती गर समझ जो करते न इश्क़ तुमसे
नासमझ हूँ मैं अब रोता है दिल ये मेरा
उनकी गली .........

गर तेरा नहीं इरादा मत ले मेरी खबर तू
कूचे को छोड़ कर तेरे जाए ना दिल ये मेरा
उनकी गली .........

बर्बाद मुझको होना यही हसरत मेरी बाक़ी
मुझको फनाह कर दो हो न निशान मेरा
उनकी गली ........

चिल्मनों में ही रहना मर्ज़ी जो है तुम्हारी
इन आँखों को अश्क़ों का तोहफा ही देना मेरा
उनकी गली .......

नहीं इतनी औकात मेरी यूँ ही रहने दो तड़पते
इस जलन में भी मज़ा है कहता है दिल ये मेरा
उनकी गली .........

थोड़े जख़्म और दे दो अभी दिल नहीं भरा है
आदत हुई है दर्द की काम बन जाए मेरा
उनकी गली .........

अपने हिस्से के गम भी महबूब मुझको दे दो
मुझे काली रात दे दो रख लो नया सवेरा
उनकी गली .........

हूँ गुस्ताख मैं साहिब यही अदा मैंने सीखी
गम खाना अश्क़ पीना ही है अब जीवन मेरा
उनकी गली .........

कोई आरी ज़रा चलाओ और जख्म मेरे चीरो
अभी इतने से दर्द से क्या होगा साहिब मेरा
उनकी गली में जाकर दिल सोचता है मेरा
चिलमन नहीं हटाना बेकाबू दिल है मेरा

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