अपने अश्कों को

अपने अश्क़ों को मुस्कुराहट में दबा रखा है
दिल में तेरा नाम ज़माने से छिपा रखा है

उठती हैँ चिंगारियां और भड़कते हैं शोले
मत दो हवा के तूफ़ान यहां रूका रखा है
अपने अश्कों को.......

हम भी बह जायेंगे तेरे इश्क़ की इस आंधी में
महकती सी हवाओं ने तूफ़ान छिपा रखा है
अपने अश्क़ों को .........

दिल ही नहीं पास मेरे सच कहती हूँ तुमको
मुद्दत से ग़ायब है जाने कहाँ रखा है
अपने अश्क़ों को........

वो कभी आएंगे मेरी गलियाँ भी रोशन होंगीं
इसी उम्मीद में ये चिराग जला रखा है
अपने अश्कों को ........

हमको अब तलक नहीं समझ आई मोहबत की बातें
मुसरूफ़ हूँ दुनिया में ही ध्यान लगा रखा है
अपने अश्कों को........

तुम समझते हो मुझे अपना ये दिल कहता है
इन्हीं अदाओं ने दीवाना बना रखा है
अपने अश्कों को.......

कब क्या हुआ अब इस बात की खबर ही नहीं
खुद को इस घर में ही मेहमान बना रखा है
अपने अश्कों को.......

आपके इंतज़ार में ही चलती हैँ सांसे मेरी
वरना इस जिस्म को हमने श्मशान बना रखा है
अपने अश्कों को.......

जल रहा है सुलग रहा है कुछ भीतर ही
है तपिश भीतर ही बाहर धुआँ सा आ रखा है
अपने अश्कों को.......

कभी कभी लफ्ज़ भी साथ मेरे रोने लगते हैं
इन्होंने भी शायद किसी से दिल लगा रखा है
अपने अश्कों को मुस्कुराहट में दबा रखा है
दिल में तेरा नाम ज़माने से छिपा रखा है

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून