तेरी याद

जाने कब तलक रोक पाऊँ इस दिल की बेकरारी
रूह तलक मेरी चीख तुमको पुकार लगाती है

क्यों हो तुम बेखबर मेरी मोहबत से अब तलक
और मुझे हर सूरत में तेरी सूरत नज़र आती है

माना तुझको चाहने वाले हैँ लाखों ही
क्या करूँ मेरी चाहत भी तुम पर रुक जाती है

दिल ए नादान है मेरा देखो अब सम्भलता नहीं
एक बार आ जाओ बेकरारी बढ़ती जाती है

ज़रा छू कर तो देखो मेरी इन धड़कनों को
हर धड़कन में सिर्फ तेरी ही आवाज़ आती है

काश इस बेकरार दिल की कोई लगाम होती
सब्र क्यों नहीं होता तेरी याद कितना तड़पाती है

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