कान्हा के अधरन

कान्हा के अधरन लगी है बाँसुरिया !
श्यामा के चरणन सजी है पायलिया !!

बाँसुरिया श्यामा श्यामा टेरत है !
पायलिया कृष्ण कृष्ण करत है !!

श्यामा के रोम रोम बसत हैं कन्हैया !
चहुँ और कान्हा देखें राधा की छइया !!

कान्हा ही ओढे राधे कान्हा ही धरावे !
कान्हा को राधा बिन कछु बिन न सुहावे !!

दोऊ देह इक प्राण हैं श्यामाश्याम !
इक दूजै के बिन निष्प्राण हैँ श्यामाश्याम !!

क्षण भी न बिछुरै दोउन ऐसो नेह है !
एकहुँ प्राण होय दोनों एकहुँ देह है !!

श्याम भये श्यामा श्यामा भई  श्याम !
ऐसो अद्भुत प्रेम को हमारो प्रणाम !!

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