जब से तेरे ख्यालोंमे

जब से तेरे ख्यालों में रहना सीखा
खुद को कहाँ तन्हा पाया है मैंने

मेरी रूह भी कहाँ मेरी अपनी थी
तुझे पाकर खुद को भुलाया है मैंने

रोज़ रोज़ लगती है तेरी यादों की महफ़िल
रोज़ नई महफ़िल को सजाया है मैंने

तेरे इश्क़ से ही तो ज़िन्दा हूँ
वरना साँसों को यूँ गवाया है मैंने

मेरी धड़कन भी तेरा नाम लेती हैँ
और कोई गीत कहाँ सुनाया है मैंने

यही इबादत सीखी इश्क़ में अब साहिब
तुझे इश्क़ है बस वही तो निभाया मैंने

तेरा इश्क़ वजह है मेरे जिन्दा होने की
तुझे ही लिखा तुझे ही सुनाया है मैंने

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