कबहुँ देखूं चाँद

कबहुँ देखूँ चाँद तोहे या चाँद ते हिय न भरे
पीर उठे नित नित भारी कौन पीर हिय की जरे
कितहुँ देखूं पिय तोरी छब मेरो नैनन नीर भरे
बाँवरी कहे तोसे मन की बतियाँ कहत कहत हिय न भरे
तुम बिन कौन पिया अबहुँ मेरो सब झूठे जग के झगरे
आवो पिया सुनि लो मन की तुम बिन कौन सुधि करे

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