नवल जोरि
नवल जोरि गलबहियाँ डालत नित्य कुञ्जन माँहिं खेलत है
नित्य किशोर श्याम नित्य किशोरी कोऊ अंक भरत है
प्रेम रस मग्न युगल प्रेम निर्झर होय नित्य बरसत हैं
एक दोउन को सुख माँहिं युगल सदैव अपनो सुख पावत है
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श्याम अंक भरी श्यामा कर लीन्हीं बाँसुरिया है
नवल प्रेम रस सों रसिकनी रसीली भई बाँवरिया है
रस आतुर मोहन तृषित भर्मर रस देवत प्रीत गगरिया है
नित्य नव नवीन प्रेम निर्झर माँहि डूबत राधा सांवरिया है
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आवो किशोरी तेरो करूँ सिंगार मैं नित्य नवेली दुल्हनिया बनाऊँ
तेरो सिंगार करूँ पुष्पन सों आवो श्यामा तेरो वेणी मैं सजाऊँ
गलमाल सजाऊँ तेरो हिय माँहिं नित माल बन सज जाऊँ
करूँ सिंगार तेरो नित्य किशोरी सिंगार को पुष्प बन जाऊँ
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