गोपेश्वर महादेव

शरद पूनम को यमुना पुलिन पर श्री कृष्ण किये वेणु नाद
कैलाश वासी शिव शंकर के मन में उठा दिव्य आह्लाद
युगल रास लीला देखन सों हिय  अति व्याकुल भयो
बहुत समझायो पार्वती परन्तु शिव हिय धीर ना होयो
पार्वती आई कैलाश सों पायो महारास प्रवेश
शिव शंकर को महारास प्रवेश माँहि गोपिन की निषेध
श्री कृष्ण को छोड़ कोऊ पुरुष महारास प्रवेश ना होय
शंकर बोले गोपिन सों प्रवेश को ओर कछु उपाय होय
गोपी बोली देखनो चाहो महारास तो गोपिन रूप लो बनाय
तुरन्त ही शिव अर्ध नारीश्वर ते गोपी रूप धर आय
नाम धरायो महादेव ने गोपेश्वर महादेव रास माय
लहंगा ओढ़नी बिंदी टीका कर्णफूल सब धराय
नित्य वास पायो वृन्दावन धर रूप गोपेश्वर महादेव
श्री कृष्ण को भजत सदैव परम् वैष्णव होय शंकर देव

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