का करूँ सखी री

का करूँ सखी री श्याम न आवे
जिया मोरा तड़पे चैन ना पावे
का करूँ सखी.......

हाय पपीहा भी पीहू पीहू गावे
तीर हिय सखी मेरे चुभ जावे
कब से तड़पूं पिया कब आवे
का करूँ सखी......

कंगन पायलिया मेरी पीहू पीहू तेरे
आवो पिया जी दिन बीते बहुतेरे
तेरी बिरहनी कहाँ सुख पावे
का करूँ सखी ........

घन घनघोर श्याम मोहे दीखें
काम्पत जिया सुन शोर बिजुरी के
सखी नैन मोरे सावन जल बरसावें
का करूँ सखी .........

छिप गए मोहन नेह लगा कर
अबहुँ सुधि लो पिया आकर
बिरह ताप मोहे अति जरावे
का करूँ सखी री श्याम न आवे
जिया मोरा तड़पे चैन ना पावे

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून