भुल्ली बैठा सजणा तू घर अपना
भुल्ली बैठा सजणा तू क्यों घर अपना
जग वाला देखें क्यों एह झूठा सपना
इस जगत दे विच नहीं कोई तेरा ठिकाना
छड्ड के तात पराई तूँ मालक कोल है जाना
ओस मालक दे वरगा तैनु होर कोई न लभना
भुल्ली बैठा सजणा तू क्यों घर अपना
जग वाला देखें क्यों एह झूठा सपना
पल पल मुकदी जांदी बन्दया एह साहां दी पूंजी
उस मालक नू हिरदै बैठा एही जीवन दी कुंजी
छड्ड के देस बेगाना अंत विच उसदे घर है चलना
भुल्ली बैठा सजणा तू क्यों घर अपना
जग वाला देखें क्यों एह झूठा सपना
नाम दी पूंजी जोड़ ले बन्दया जो सभ तों अनमोल
मालक अपणे नाम विच रहन्दा हर दम तेरे कोल
बीत गया जे जीवन तेरा हथ पवेगा मलना
भुल्ली बैठा सजणा तू क्यों घर अपना
जग वाला देखें क्यों एह झूठा सपना
Comments
Post a Comment