मन तेरो प्रेम नाय
मन तेरो प्रेम नाय विषय अनर्थ होवै !
स्वास् स्वास् युगल बिना जीवन व्यर्थ होवै !!
रंग ना रँगावे चुनर युगल प्रीत वारी तू !
भोग सुख कामना माँहि आयु गवाई सारी तू !!
पीर ना उठै तेरो हिय युगल संग पायौ नाय !
हिय तेरो पाषाण होय प्रेम उपजायो नाय !!
कोटि कोटि धिक्कार तेरो ऐसो ऐसो जीवन में !
क्षण भी लगाये ना तू कबहुँ युगल भजन में !!
विषयन को गहरो रस होय तेरो हिय माय !
परम् प्रीत छोड़ तू विष्ठा को भोग पाय !!
मानव नहीँ जन्म ते तू तो कूकर भयो !
जिव्हा पर तेरो कबहुँ युगल नाम न रह्यो !!
विषयन माँहि भटकत तू एक दिवस सडेगो !
जन्म मरण के पुनः पुनः चक्र माँहि पडेगो !!
अबहुँ समय होवै युगल नाम तू उच्चार ले !
और कितनो गिरेगो अबहुँ जीवन सँवार ले !!
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