मोहना काहे न समझे

मोहना !
काहे ना समझो हिय की पीर
रैन दिवस मेरो नैन बहत हैँ
तेरी बाँवरी भई अधीर
मोहना !
काहे ना समझे पीर.........

दूर देस पिया वास तिहारा कौन विधि मैं आऊँ
जानूँ ना कोई भी साधन जो प्रियतम तुम्हें मनाऊँ
हिय माँहि ताप उठे मेरो भारी दृगन सों बह रह्यो नीर
मोहना !
काहे ना समझे हिय की पीर .......

प्रीत की रीत ना जानूँ साजन पर हूँ मैं तेरी
अकुलावें प्राण मेरो मोहन देर भई बहुतेरी
बिरहनी की आसा रखियो हिय को बंधावो धीर
मोहना !
काहे ना समझे हिय की पीर .......

पिया पिया रटत मैं भई बाँवरिया अबहुँ सुधि मेरी लीजो
विरह सर्प मेरो देह तपावे और विलम्ब ना कीजो
रोम रोम पीहू पीहू पुकारत कांटा भयो सरीर
मोहना !
काहे ना समझे हिय की पीर
रैन दिवस मेरो नैन बहत हैँ
तेरी बाँवरी भई अधीर
मोहना !
काहे ना समझे हिय की पीर

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून