नुपुर बाजे
नुपुर बाजे श्यामा को मोहन मन नाचत है
प्रेम सुधा मग्न दोऊ नित ही विलासत है
मदन मोहिनी को रूप रस पीवत है
राग रागिनी सब सखियन बजावत है
नित नवल खेल रंग युगल रचावे हैं
प्रेम रस पीवें दोऊ मग्न हो पिलावे हैं
नवल दुल्ह्नी राधिका नवल दूल्हों श्याम होय
प्रेम बेलि बढ़े नित नित प्रीत नवल होय
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रसिक रासिनी दोऊ कुञ्ज में विराजे हैँ
प्रेम रस बढ्यो नवल जोरि जैसो साजे है
नित्य ही किशोर होय चन्द्र को चकोर होय
नैनन सो नैन मिल्यो ऐसो प्रेम डोर होय
प्रेम रस देवन को दम्पति की होर होय
श्यामा मदमाती चन्द्र रूपिणी श्यामजु चकोर होय
कोऊ कितनो पिवत कोऊ कितनो पिलावत है
रँगीली जोरि को सखी नित नित कुञ्ज सजावत है
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कोऊ कहे युगल जोरि बरण नाय होय
नैन देखे जो युगल रस पीवत नाय होय
रस आतुर श्याम विनय करे रति दान को
श्यामा हिय प्रेम बरसै पिय के निदान को
ऐसो प्रेम रस युगल जोरि नित मगन होय
श्याम को श्यामा श्यामा को श्याम की लग्न होय
नित बरसै नवल रस नवल प्रीत जागै है
देखय कोऊ कोऊ नैन जो होय बड़भागे है
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रंग रंगीले छबीले दोऊ करत विहार है
देख देख सखियन को हिय बलिहार है
प्रेम रस बरस्यो नित नव रस पायो है
रास विहार युगल रसिकों ने गायो है
रसिकन को प्राण श्यामा और श्याम हैँ
देखत सखी नैन युगल जोरि अविराम है
रँगीली नवल जोरि देख्यो हरष अपार है
याहि सुख ब्रज माँहि झूठो संसार है
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पीवत पीवत प्रेम सुधा नैन मदमाये हैँ
श्यामा श्याम प्रेम रंग नित नित समाये हैं
ऐसो रस बरस रह्यो युगल दोऊ भीजत है
प्रेम सुधा श्याम श्यामा नित नित पीवत है
दोउन में प्रेम रस पिपासा नित बढ्यो है
परस्पर सुख देवत युगल प्रेम बढ्यो है
मोहन मोहिनी अंग सुअंग मेलि साजे हैं
नित नवल जोरि ब्रज कुञ्जन माँहि विराजे है
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