आपसे बिछड़ कर
आप से बिछड़ कर मेरा वजूद क्या है
आपके बिना जीना जैसे इक सज़ा है
नहीं मुझे इल्म कोई कैसे करूँ इबादत
हूँ गुस्ताख मैं जन्म से आती नहीं मोहबत
यूँ ही दिखावा करना मेरी इक अदा है
आप से बिछड़ कर मेरा वजूद क्या है
आपके बिना जीना जैसे इक सज़ा है
वो कोई और ही हैं जो इश्क़ करते होंगें
वो कोई और होंगें जो जीते मरते होंगें
इस दिल में तो केवल ज़हर ही भरा है
आप से बिछड़ कर मेरा वजूद क्या है
आपके बिना जीना जैसे इक सज़ा है
मेरी गली से लौट जाओ ना ही अपनी में बुलाना
नहीं आता इश्क़ करना नहीं जानती निभाना
आप कैसे निभाते हो ये दिल ही जानता है
आप से बिछड़ कर मेरा वजूद क्या है
आपके बिना जीना जैसे इक सज़ा है
इतनी इनायतें हैं आपकी कैसे करूँ बयाँ मैं
नहीं मुझको वफायें आती समझी कब कहाँ मैं
नहीं कभी राज़ी दिल हुआ जिसमें तेरी रज़ा है
आप से बिछड़ कर मेरा वजूद क्या है
आपके बिना जीना जैसे इक सज़ा है
हो कबूल हो कभी मुझे तेरे रंग में रंगा रहना
सब दिल के दर्द छिपाना नहीं तुमसे कुछ भी कहना
मैंने दर्द ही बांटा है सबको सदा दिया है
आप से बिछड़ कर मेरा वजूद क्या है
आपके बिना जीना जैसे इक सज़ा है
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