आज अपने कत्ल की
आज अपने कत्ल की उम्मीद लगा रखी है
मुद्दतों बाद तेरे नाम की ये रात सजा रखी है
वो आएंगे मेरे आशियाने में चिलमन सभी हटाकर
आज उनको ना दूंगी जाने रखूँ पास में बिठाकर
इंतज़ार की शम्मा मैंने मुद्दत से जला रखी है
आज अपने कत्ल की ........
वो आकर कभी बैठें पहलू में जो हमारे
देखूँ उन्हें जी भरके गम छिपा लूँ अपने सारे
उनके ही इश्क़ वाली दिल में लौ जला रखी है
आज अपने कत्ल की ........
मेरे हसीन कातिल क्या तुमको दे सकूँ मैं
गम दे दे मुझको सारे इतना ही कह सकूँ मैं
हमने तेरे इश्क़ की लाइलाज़ बीमारी लगा रखी है
आज अपने कत्ल की उम्मीद लगा रखी है
मुद्दतों बाद तेरे नाम की ये रात सजा रखी है
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