आवो आवो प्रियतम
आवो आवो मेरो प्रियतम तड़पत हूँ ज्यूँ जल बिन मीन
कासे कहूँ पीर मोरे हिय की प्रेम विहीना मैं मतिहीन
कैसो नेह करूँ तोसे प्रियतम प्रीत की रीत मैं जानि नाँहिं
होय पाषाण सम कठोर हिय मेरो या माँहिं प्रीत समानी नाँहिं
झूठो नेह राख्यो जगत संग तोसे नेह लगायो नाँहि
बीत गया सगरा जीवन मेरो प्रीत का धन कबहुँ पायो नाँहिं
झूठो सो नेह झूठो सी पुकार मेरो प्रियतम सत्य मान लीजो
देह से प्राण जावन ते पहिले प्रियतम मोहे अपनी कीजो
Comments
Post a Comment