हित की उपासना हित कौ नाम हित कौ रुचै सब हित कौ ही धाम हित कौ खेल सबै हित की खेलाई हित फूलै हित सौं हित की रँगाई हित कौ नव रँग हित की शोभा अनूप बाँवरी कबहुँ नयन भर निरखै हित रूप
हरिहौं हम रहै जगति कौ कीट जन्म जन्म बिसराई नाथा बाँवरी रही ढीट कौ ढीट जड़ता भारी जन्म जन्म कौ मुख हरिनाम न आवै हिय न लगै चटपटी साँची हरिभजन नाँहि सुहावै बाँवरी बिरथा जन्मन की...
हरिहौं हम पातकी जन भारी तुम पतितन कौ नाथ हो नाथा दीजौ नाँहिं बिसारी एक दया की दृष्टि सौं नाथा सगरै भव बन्धन छूटे लूट मचावै हरिनाम की ऐसी क्षण क्षण मौजा लूटे हा हा नाथा होऊँ क...
हरिहौं नेकहुँ लेयो निहार पतित जनन कौ तुम्हीं नाथा कीजौ कृपा विस्तार हा हा नाथा कंगाल जन्मन कौ पड़ी तिहारे द्वार तुम्हरौ एक कोर कृपा की हरे जन्म जन्म कौ भार दीजौ भिक्षा हरिन...
इस इश्क़ के बता क्यों इम्तिहान अभी बाक़ी हैं टूटे से इस जिस्म में क्यों जान अभी बाक़ी है खण्डहर सा हो चुका है कबसे यह दिल मेरा न समझना तेरे रहने को मकान अभी बाक़ी है इस इश्क़ के ....... हम त...
*तृषा वर्धन* चेतना सदा से तृषित है, अतृप्त है क्योंकि छूटी हुई है उस महाचैतन्य से।पुनः उस महाचैतन्य केे रस स्पर्श ही इसकी वास्तविक तृषा उदित होने लगती है, वर्धित होने लग...
*प्रेम हिंडोरा 11* श्रीयुगल पुष्पों से सज्जित हिंडोरे पर विराज रहे हैं,परन्तु जैसे ही सेवामयी किंकरियों ने दोनों को सँग बिठा हिंडोरे को झोटा दिया, श्यामसुंदर का कर स्वाम...
हरिहौं हमहुँ सकल अवगुण खान नाम भजन सौं राखी दूरी सदा करें विषय रस पान कोऊ होत जौ सूकरी हरिहौं विष्ठा जगति की पाती हमहुँ विष्ठा रहै पसारी जौ भजन न रीति सुहाती नाम भजन बिन फीक...
सब वेदों का सार है राधा कृष्ण प्रेम आधार है राधा नित्य नवल रसधार है राधा इक सच्ची सरकार है राधा कृष्ण प्रेम उन्माद है राधा परम प्रेम का स्वाद है राधा श्रीकृष्ण हिय मणी है रा...
हरिहौं हिय पाथर सम कठौरा कबहुँ न द्रवै देख अपनी अधमाई रहै जगति कौ दौरा नाम भजन की रीति बिसराई बाँवरी दिन दिन जगति जावै कबहुँ न देखे दुर्दशा अपनी बाँवरी नेकहुँ नाँहिं लजावै ...
हरिहौं दीजौ नरक माँहिं वासा नाम बिना जावत रह्यौ जीवन बिरथा स्वासा स्वासा बिरथा कीन्हीं स्वासा बाँवरी कबहुँ भजन चित्त न लाई देह विषय के भोग अति गाढ़ै हरिनाम न मुख सौं गाई ढो...
*भक्ति कौ स्वाद लहै हरि आप* भक्ति भक्त भगवंत गुरु चतुर नाम वपु एक जिनके पद वन्दन किये नाश्त विघ्न अनेक भक्ति श्रीहरि की आह्लादिनी वृत्ति है। उनके हृदय का उन्माद, उनके हृदय ...
*आज बधाई बाजै रे* आज बधाई बाजै रे जन्म लियो वृषभान नन्दिनी कीर्ति गोद मे साजै रे हो !! आज बधाई बाजै रे रावल गावँ ननिहाल प्यारा राधा नाम बहे रस धारा नाचै गोप ग्वालिन मदमाते ढोल मृ...
*जय गणपति गणेश* मंगल मंगल जय गणपति गणेश नवल नवल जय गणपति गणेश विघ्न विनाशक जय गणपति गणेश गौरी सुत जय गणपति गणेश प्रथम वन्दन जय गणपति गणेश शंकर नन्दन जय गणपति गणेश मंगल भुवन ज...
रटत रटत जन्म जावै आवै न हिय प्रेम निष्ठा सौं हरिभजन होय जेई भजन को नेम बिन निष्ठा रटन तोते की जन्म जन्म रस दूर शरण कीजै रसिक की तबहुँ आनँद होय भरपूर बाँवरी अपनी मति न कीजिये र...
अब और भी क्या लिखूँ मैं अपनी बेवफ़ाई के किस्से लिखने से गुनाह खत्म न हुआ करते कभी तुमको भुलाना ही तो जुर्म हुआ है मुद्दतों से यही जलना सिसकना अब सजाएं हैं मेरी
छबीलो वृन्दावन कौ रास छैल छबीली रँगीली जोरि बिलसत करत हुलास दोऊ चँद्र उजियारे वन के दोऊ करत प्रेम प्रकास श्रीवृन्दावन प्रेम भूमि जहाँ नित नव नव प्रेम बिलास रँगीले खग मृग ...
आपके बिन जी रहे हैं सच कितनी बेवफ़ाई है फ़िजूल सी चलती रही साँसे पर तेरी याद न आई है सच पूछो तो जीने की वजह भी कहाँ है अब तेरी याद कभी रहती थी मुद्दत से ही भुलाई है आपके बिन ..... और अपनी...
हरिहौं कबहुँ प्रेम रस पाऊँ कबहुँ नेह होय तुमसौं साँचो टेर टेर अकुलाऊँ हरिहौं भोगी जगति की बाँवरी भोग विषय अति गाढ़ै कौन विध हिय प्रेम बीज उपजै कौन विध बेलि बाढ़ै हा हा नाथा ढो...
हरिहौं तुमसौं नेह न साँची छोड़ प्रेम की बात हरिहौं बाँवरी पोथी बाँची बाँवरी पोथी बाँची हरिहौं साँचो धन रही बिसराई गौर गौरांग नाम कबहुँ न लीन्हीं सगरी आयु बिताई हा हा नाथा प...