Posts

Showing posts from September, 2018

हित की उपासना

हित की उपासना हित कौ नाम हित कौ रुचै सब हित कौ ही धाम हित कौ खेल सबै हित की खेलाई हित फूलै हित सौं हित की रँगाई हित कौ नव रँग हित की शोभा अनूप बाँवरी कबहुँ नयन भर निरखै हित रूप

हित कौ रूप

हित कौ होवै रूप सबै हम हित उपासी हित ही रति मति गति हमहुँ हित की करै ख़्वासी हित भूषण हित बसन हित होय सकल प्रेमालाप बाँवरी हित हरिवंश भजै मेटे सकल हिय ताप हित खेले हिय हित हँसे...

जगति कौ कीट

हरिहौं हम रहै जगति कौ कीट जन्म जन्म बिसराई नाथा बाँवरी रही ढीट कौ ढीट जड़ता भारी जन्म जन्म कौ मुख हरिनाम न आवै हिय न लगै चटपटी साँची हरिभजन नाँहि सुहावै बाँवरी बिरथा जन्मन की...

हम पातकी जन भारी

हरिहौं हम पातकी जन भारी तुम पतितन कौ नाथ हो नाथा दीजौ नाँहिं बिसारी एक दया की दृष्टि सौं नाथा सगरै भव बन्धन छूटे लूट मचावै हरिनाम की ऐसी क्षण क्षण मौजा लूटे हा हा नाथा होऊँ क...

तुम हौ पतितपावन

हरिहौं तुम हौ पतितपावन जौ पतिता बाँवरी भूले रहै बिरथा नाम रखावन तुम शरणागतवत्सल नाथा बाँवरी शरणन कीजौ निकारो जगति कीच सौं नाथा अपनी चरण रति दीजौ चरणन रति दीजौ नाथा जगति क...

देयो भजन कौ लोभा

हरिहौं देयो भजन कौ लोभा भजन हीन रही पतित पामरी भजन ही साँची सोभा मानुस देहि दुर्लभ दीन्हीं देयो भजन चटपटी साँची बाँवरी मूढ़ा षडरस लोभी रहै सदा जगति रँग राँची कबहुँ अपनो रँग ...

हरिहौं नेकहुँ ल्यो निकार

हरिहौं नेकहुँ लेयो निहार पतित जनन कौ तुम्हीं नाथा कीजौ कृपा विस्तार हा हा नाथा कंगाल जन्मन कौ पड़ी तिहारे द्वार तुम्हरौ एक कोर कृपा की हरे जन्म जन्म कौ भार दीजौ भिक्षा हरिन...

हे हरे हे हरे

*हे हरे   हे हरे* *हे हरिहरा* *हे हरण्या* *हरिउरवासिनी* *हरिहियआह्लादिनी* *हरिहियराजिनी* *हरिहियहर्षिणी* *हरिहियवर्षिणी* *हरिहियसुगन्धिनी* *हरिहियतरंगिनी* *हरिरसरँगीनि* *हरिअंग...

इस इश्क़ के इम्तिहान

इस इश्क़ के बता क्यों इम्तिहान अभी बाक़ी हैं टूटे से इस जिस्म में क्यों जान अभी बाक़ी है खण्डहर सा हो चुका है कबसे यह दिल मेरा न समझना तेरे रहने को मकान अभी बाक़ी है इस इश्क़ के ....... हम त...

तृषा वर्धन

*तृषा वर्धन*      चेतना सदा से तृषित है, अतृप्त है क्योंकि छूटी हुई है उस महाचैतन्य से।पुनः उस महाचैतन्य केे रस स्पर्श ही इसकी वास्तविक तृषा उदित होने लगती है, वर्धित होने लग...

प्रेम हिंडोरा 11

*प्रेम हिंडोरा 11*     श्रीयुगल पुष्पों से सज्जित हिंडोरे पर विराज रहे हैं,परन्तु जैसे ही सेवामयी किंकरियों ने दोनों को सँग बिठा हिंडोरे को झोटा दिया, श्यामसुंदर का कर स्वाम...

Awgun khaan

हरिहौं हमहुँ सकल अवगुण खान नाम भजन सौं राखी दूरी सदा करें विषय रस पान कोऊ होत जौ सूकरी हरिहौं विष्ठा जगति की पाती हमहुँ विष्ठा रहै पसारी जौ भजन न रीति सुहाती नाम भजन बिन फीक...

Sancho virh

हरिहौं साँचो विरह कबहुँ लागै हिय लगै न भजन चटपटी भजन सौं दूरहि भागै भजन सौं दूरहि भागै बाँवरी जगति लगै अति नीकी ढोंग बनावै भाँति भाँति कै बात भजन की फीकी सगरौ जगति कौ ढोंग द...

Vedon ka saar

सब वेदों का सार है राधा कृष्ण प्रेम आधार है राधा नित्य नवल रसधार है राधा इक सच्ची सरकार है राधा कृष्ण प्रेम उन्माद है राधा परम प्रेम का स्वाद है राधा श्रीकृष्ण हिय मणी है रा...

Pathr sm kthora

हरिहौं हिय पाथर सम कठौरा कबहुँ न द्रवै देख अपनी अधमाई रहै जगति कौ दौरा नाम भजन की रीति बिसराई बाँवरी दिन दिन जगति जावै कबहुँ न देखे दुर्दशा अपनी बाँवरी नेकहुँ नाँहिं लजावै ...

Kotin koti jnm

हरिहौं कोटिन कोटि जन्मा दीजौ कोढ़ी पँगु अंध नयन सौं जन्म जन्म मोहि कीजौ रहै चमार चरम की लोभी बाँवरी कोढ़ी कीजौ नाथा कबहुँ न हाथ बढ़त सेवा कौ बनत रह्यौ अपराधा नयन निहारत जगति कौ...

Nrk was

हरिहौं दीजौ नरक माँहिं वासा नाम बिना जावत रह्यौ जीवन बिरथा स्वासा स्वासा बिरथा कीन्हीं स्वासा बाँवरी कबहुँ भजन चित्त न लाई देह विषय के भोग अति गाढ़ै हरिनाम न मुख सौं गाई ढो...

भक्ति को स्वाद

*भक्ति कौ स्वाद लहै हरि आप* भक्ति भक्त भगवंत गुरु चतुर नाम वपु एक जिनके पद वन्दन किये नाश्त विघ्न अनेक    भक्ति श्रीहरि की आह्लादिनी वृत्ति है। उनके हृदय का उन्माद, उनके हृदय ...

आज बधाई बाजै रे

*आज बधाई बाजै रे* आज बधाई बाजै रे जन्म लियो वृषभान नन्दिनी कीर्ति गोद मे साजै रे हो !! आज बधाई बाजै रे रावल गावँ ननिहाल प्यारा राधा नाम बहे रस धारा नाचै गोप ग्वालिन मदमाते ढोल मृ...

जय गणपति गणेश

*जय गणपति गणेश* मंगल मंगल जय गणपति गणेश नवल नवल जय गणपति गणेश विघ्न विनाशक जय गणपति गणेश गौरी सुत जय गणपति गणेश प्रथम वन्दन जय गणपति गणेश शंकर नन्दन जय गणपति गणेश मंगल भुवन ज...

रटत रटत

रटत रटत जन्म जावै आवै न हिय प्रेम निष्ठा सौं हरिभजन होय जेई भजन को नेम बिन निष्ठा रटन तोते की जन्म जन्म रस दूर शरण कीजै रसिक की तबहुँ आनँद होय भरपूर बाँवरी अपनी मति न कीजिये र...

हिंडोरा 9

*प्रेम हिंडोरा 9*     आज मेरी स्वामिनी प्रसन्न भई,जेई कौ श्रृंगार धराती दासी अपनी प्राणा जु की बलिहारी लेय रही। स्वामिनी जु की भाव दशा आज विचित्र होय रही। कबहुँ तो ऐसो विरह जड़...

बेवफ़ाई के किस्से

अब और भी क्या लिखूँ मैं अपनी बेवफ़ाई के किस्से लिखने से गुनाह खत्म न हुआ करते कभी तुमको भुलाना ही तो जुर्म हुआ है मुद्दतों से यही जलना सिसकना अब सजाएं हैं मेरी

हिंडोरा 10

*प्रेम हिंडोरा 10*     मोरी स्वामिनी प्रसन्न भई, उमगती हुई, लहराती हुई, नाचती हुई, हर्षिणी, मोरी किशोरी ,प्रसन्ना, उज्ज्वला , मोरी भोरी स्वामिनी दौड़ती हुई जा रही है। निकुञ्ज भवन क...

छबीलो वृन्दावन

छबीलो वृन्दावन कौ रास छैल छबीली रँगीली जोरि बिलसत करत हुलास दोऊ चँद्र उजियारे वन के दोऊ करत प्रेम प्रकास श्रीवृन्दावन प्रेम भूमि जहाँ नित नव नव प्रेम बिलास रँगीले खग मृग ...

आपके बिन जी रहे हैं

आपके बिन जी रहे हैं सच कितनी बेवफ़ाई है फ़िजूल सी चलती रही साँसे पर तेरी याद न आई है सच पूछो तो जीने की वजह भी कहाँ है अब तेरी याद कभी रहती थी मुद्दत से ही भुलाई है आपके बिन ..... और अपनी...

कबहुँ प्रेम रस पाऊँ

हरिहौं कबहुँ प्रेम रस पाऊँ कबहुँ नेह होय तुमसौं साँचो टेर टेर अकुलाऊँ हरिहौं भोगी जगति की बाँवरी भोग विषय अति गाढ़ै कौन विध हिय प्रेम बीज उपजै कौन विध बेलि बाढ़ै हा हा नाथा ढो...

अपनो नेह न साँची

हरिहौं तुमसौं नेह न साँची छोड़ प्रेम की बात हरिहौं बाँवरी पोथी बाँची बाँवरी पोथी बाँची हरिहौं साँचो धन रही बिसराई गौर गौरांग नाम कबहुँ न लीन्हीं सगरी आयु बिताई हा हा नाथा प...