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Showing posts from 2019

अपनो लगे रहन सौं काम

*अपनो लगे रहन सौं काम* अपनौ लगे रहन सों काम इतनी कृपा कीजौ लाड़िली दीजौ अपना नाम धन न सम्पद भुक्ति न मुक्ति दीजौ किशोरी कोई प्रेम की युक्ति और कहाँ मेरी ठौर लाड़िली तेरे चरण विश्राम सब रसिकन को ऐहै आहार सेवत युगल नित नित्य विहार कीजौ सन्तन रसिकन धूरि पाऊँ  श्रीवृन्दावन धाम अपनौ लगे रहन सौं काम वाणी सौं कछु और न गाऊँ श्यामा श्यामा रटन लगाऊँ चरणन सेवा मिले किशोरी सेवा सुख अविराम अपनो लगे रहन सौं काम यहि विनती करै बाँवरी दासी पावै श्रीयुगल महल ख़्वासी और न कछु सुहावै बाँवरी मुख सौं उच्चरै श्यामाश्याम अपनो लगे रहन सौं काम अपनौ लगे रहन सों काम इतनी कृपा कीजौ लाड़िली दीजौ अपना नाम

सुमिर मन बाँवरे

*सुमिर मन बाँवरे* सुमिर मन बाँवरे राधा नाम  गावो रसना सौं आठों याम राधा राधा नाम श्रीराधा नाम यहि नाम जपै मोहन मुरारी यहि नाम मुरली रहै उच्चारी मोहन के मन प्राण श्रीराधा नाम जपत होय पूर्ण काम सुमिर मन बाँवरे ........ वृन्दावन का कण कण गावै खग मृग तरु लता यहि भावै रसिकन के उर प्राण पुकारें राधा नाम इक श्रीराधा नाम सुमिर मन बाँवरे........ यहि नाम सकल प्रेम की पूँजी यहि नाम मदन मन की कूँजी यहि नाम परम् प्रेम कौ सार यहि नाम बसावै हिय धाम सुमिर मन बाँवरे राधा नाम  गावो रसना सौं आठों याम राधा राधा नाम श्रीराधा नाम

कबहुँ ऐसो होय भाग

हरिहौं कबहुँ होय ऐसो भाग श्रीवृन्दावन रटन बनै जिव्हा सौं होय युगल चरण अनुराग होय युगल चरण अनुराग मिलै युगल चरण ख़्वासी करौ कृपा हे रजरानी निर्धन पर भिक्षा याचत दासी रसिकन चरण रज नित शीश चढ़ाऊँ निरखै युगल माधुरी निर्धन कौ कबहुँ मिले परम् धन यहि मांगै दासी बाँवरी

वन्दौ श्रीहरिदास

वन्दौ श्रीहरिदास प्रकटायौ कुँज बिहारी रसिक अनन्य निजमहल वासी सखी युगल अँकधारी पोषे श्रीयुगल नित्यसेवा रास विलास अतिहि सुखकारी युगल प्रेम रसरीति दीन्हीं नव नवल विलास आनन्दकारी वन्दौ तिन चरण कमल जिन निधिवन युगल प्रेम प्रकास कियो श्रीहरिदास भज री बाँवरी जिन नित्य युगल विलास दियो

सौ इल्ज़ाम

तेरे इश्क़ में चाहे सौ इल्ज़ाम हमपे आये बस नाम इक तेरा ही मेरे लब पे आये रूह तक हुई नीलाम अब तेरे इश्क़ में प्यारे मुझपर जो बेख़ुदी है हाय वह सबपे आये तेरे इश्क़ में....... नहीं कुछ सूझता अब तेरे नाम के सिवा हमें तू ही एक है रब मेरा अब दूसरा किधर से आये तेरे इश्क़ में ........ नस नस में भर दो साहिब अब इश्क़ तुम अपना तेरे इश्क़ में रूह नाचे जब तेरा नाम लेके गाये तेरे इश्क़ में ......... नहीं होश रहे बाक़ी हो खुमारी तेरे इश्क़ की तेरे इश्क़ का नशा ही मेरे सिर चढ़ता जाये तेरे इश्क़ में ........ तेरे दर के हैं भिखारी यही खैरात माँगते हैं बस अपना नाम देना जब जिस्म से जान जाये तेरे इश्क़ में ......... मिटकर भी हमको होना है धूल तेरे दर की इस दिल में बाक़ी एक ही यही चाहत रह जाये तेरे इश्क़ में ..........

होऊँ पशु

हरिहौं होऊँ पसु बड़ो दुराचार कौन भाँति नाथा होय मम उद्धार आपहुँ चरण रख कीजौ सम्भार तुम्हरी कृपा नाथा कौन पावे पार कृपा बिन्दु देयो हरिनाम रससार बाँवरी यहि भिक्षा मांगै आँचल पसार

झूठ दुकान

हरिहौं बाँवरी खोले झूठ दुकान हरिनाम न जिव्हा नाचै कूकरी सम मिथ्या करै बखान जन्म जन्म गमाई रही भजन बिन बाँवरी मूढ़ मति नादान हरिनाम ही होय साँचो धन मूढ़े करै जगति विष्ठा पान कबहुँ जिव्हा हरिनाम रस चाखै मन करै हरि कौ ध्यान बाँवरी कबहुँ भोग विषय छूटे हिय उपजै साँचो ज्ञान

भोग वासना

हरिहौं भोग वासना गहरी बाँवरी काम विषय की गठरी नाथा सिर पर रहै ठहरी भोग वासना दिन प्रतिदिन बाढ़ै मेरौ गठरी होवत भारी दुर्बल मतिहीना बाँवरी कहो किस भाँति करै सम्भारी आपहुँ पकरि कै चपत लगावो तुम्हरौ जन क्योंहोऊँ दुर्बल माया पिशाची सौं छुड़वाओ देयो नाथा आपनो निज बल

जय राधा राधिका

*जय राधा राधिका* *उज्ज्वल रस सागरी जय राधा राधिका* *प्रेम रस गागरी जय राधा राधिका* *रसिका रस तरंगिनी जय राधा राधिका* *कृष्ण सुख आगरी जय राधा राधिका* *मोहन उर वासिनी जय राधा राधिका* *परम् प्रेम माधुरी जय राधा राधिका* *कृष्ण प्रेम अनुरागिनी जय राधा राधिका* *श्रृंगारिणी रस सरोवरी जय राधा राधिका* *नित्य रास विलासनी जय राधा राधिका* *नवल रसिका कृषोदरी जय राधा राधिका* *अलियन उर मोदिनी जय राधा राधिका* *हुलसित हिय बाँवरी जय राधा राधिका*

नाम कौ दान

हरिहौं देयो नाम कौ दान भोग पदार्थ मिथ्या जगति कौ चाह्वै मूढ़ा बाँवरी नादान साँचो धन नाम कौ भूली बाँवरी नाम चिंतामणि समान काँच की गोली खूब बटोरी निर्धन भूली हरिनाम कौ गान अबहुँ सुधि लीजो नाथा कृपा करि कीजौ स्वासा नाम समान नाम बिनहुँ ना निकसै स्वासा नाम भूले निकसै प्रान

षोडश श्रृंगार धारिणी

*षोडश श्रृंगार धारिणी* *षोडश श्रृंगार धारिणी नवल ब्रजभामिनी* *मृदुला मृदु हासिनी पिय उर राजिनी* *कोमल कृषोदरी श्रीनिकुंज मन्दिर स्वामिनी* *चपला चपलांगिनी सरस रस अभिरामिनी* *श्रृंगार कौशले केलि चातुर्या कामिनी* *सर्व कला ज्ञाता नागरी श्रीराधिका नामिनी* *मृगनेत्री सुरंगिनी मुकुन्द हिय विलासनी* *प्रेम स्वरूपणी वृन्दानेश्वरी प्रेम स्वर नादिनी* *सर्व देव वन्दिनी सकल सृष्टि आनन्दिनी* *त्रिलोक नाथ आराध्या श्रीराधिका मम स्वामिनी* *सुरसिनी नव रसिका रसिक सिरमोरनी* *कोक कला पण्डिता परम् रस प्रकाशिनी* *सुरँग रँगीनि नव केलि उदग्मिनी सुरभिनी* *प्रेम करुणा सिन्धु रास रस उल्लासिनी*

इतनी कृपा करो

इतनी कृपा करो मोरी स्वामिनी निज चरण रेणु बनाओ नाम तिहारो न क्षणहुँ बिसरै किशोरी ऐसी कृपा बरसाओ जन्म जन्म के मलिन हिय कौ किशोरी कोऊ बल न समर्था निज नाम भजन की पूँजी देकर निर्धन धनवान बनाओ इतनी कृपा करो ......... मस्तक धार सकूँ पग धूरि स्वामिनी तुम्हरे प्रिय रसिकन की निहारो एक बार किशोरी निज दासिन की दासी बनाओ इतनी कृपा करो........ अक्षर अक्षर प्रकट युगल हैं ऐसी अद्भुत वाणी तिहारी नाम रूप लीला वाणी सौं मेरौ हिय कुंज सरसावो इतनी कृपा करो........ अपनी ओर निहार लजाऊँ होऊँ जन्म जन्म की निर्धन सेवा की साँची पूँजी देकर बाँवरी हिय आस पुजावो इतनी कृपा करो......... होऊँ गुणहीन विहीन नाम भजन ते कोई बल न राखी बाँवरी कृपा की कोर निहारे स्वामिनी चरणन चेरी बनाओ इतनी कृपा करो मोरी स्वामिनी निज चरण रेणु बनाओ नाम तिहारो न क्षणहुँ बिसरै किशोरी ऐसी कृपा बरसाओ

सिसकने का मज़ा

बन्द हुई साँसे तो सिसकने का मज़ा कैसे मिले मेरे महबूब मुझे पल पल का सुलगना दे दो अश्कों की बारिशों में आज नहाना है हमको अब हमें पल पल अश्कों से भीगना दे दो हाँ बहुत मज़बूत हैं भीतर जो है भरा मेरे चोट करो हमको पल पल का टूटना दे दो मुद्दतों से खड़े हैं हम इश्क़ के समन्दर पर अब न लौटें कभी अब हमको डूबना दे दो क्यों तुमसे दूर रहकर जीना गंवारा है हमको पल पल बस तेरी याद में मरना दे दो क्यों ख्वाहिशें बाक़ी हैं मेरी इक तेरी ख़्वाहिश बिन मुझको मेरे असली वजूद में अब लौटना दे दो बन्द हुई साँसे तो सिसकने का मज़ा कैसे मिले मेरे महबूब मुझे पल पल का सुलगना दे दो

नयनों में अश्क़ भरकर

नयनों में अश्क़ भरके कैसे तुम्हें निहारें दिल सुलगता है तुम बिन कैसे तुम्हें पुकारें मोती नहीं हैं पानी बहता है खारा खारा रुकती नहीं हैं आँखों से अश्कों की अब कतारें नयनों में ...   जाने क्यों देखते हैं आती जाती साँसें अपनी जीने की तुम वज़ह दो कैसे जिंदगी गुज़ारें नयनों में ....     नज़रों में ही रह जाओ नहीं दूर जाओ पल भर को नज़रों में ही छिपाकर तेरी नज़र हम उतारें नयनों में .....   हमको तो इल्म नहीं है तुमसे इश्क़  कर पाएं हम तो बस देखते हैं तेरे ही सब इशारे नयनों में...... जाने मुझमें क्या उछल रहा मुझको भी ख़बर नहीं मेरे दिल अब बोलता है दिल के लफ्ज़ तुम्हारे नयनों में .... मुद्दत से यूँ ही बैठे हैं हम इंतज़ार में तेरे नदियाँ बन बह रहे हैं मेरे नयनों के किनारे नयनों में अश्क़ भरके कैसे तुम्हें निहारें दिल सुलगता है तुम बिन कैसे तुम्हें पुकारें

तेरे इश्क़ में चाहे

तेरे इश्क़ में चाहे सौ इल्ज़ाम हमपे आये बस नाम इक तेरा ही मेरे लब पे आये रूह तक हुई नीलाम अब तेरे इश्क़ में प्यारे मुझपर जो बेख़ुदी है हाय वह सबपे आये तेरे इश्क़ में....... नहीं कुछ सूझता अब तेरे नाम के सिवा हमें तू ही एक है रब मेरा अब दूसरा किधर से आये तेरे इश्क़ में ........ नस नस में भर दो साहिब अब इश्क़ तुम अपना तेरे इश्क़ में रूह नाचे जब तेरा नाम लेके गाये तेरे इश्क़ में ......... नहीं होश रहे बाक़ी हो खुमारी तेरे इश्क़ की तेरे इश्क़ का नशा ही मेरे सिर चढ़ता जाये तेरे इश्क़ में ........ तेरे दर के हैं भिखारी यही खैरात माँगते हैं बस अपना नाम देना जब जिस्म से जान जाये तेरे इश्क़ में ......... मिटकर भी हमको होना है धूल तेरे दर की इस दिल में बाक़ी एक ही यही चाहत रह जाये तेरे इश्क़ में ..........

अश्कों की सौगात

तुमसे हम अब अश्कों की सौगात माँगते हैं तेरी याद में जो गुज़रे रोकर वही रात माँगते हैं काश इस दिल में थोड़ा सा भी तुमसे इश्क़ होता नहीं कर पाए उम्र भर वही जज़बात मांगते हैं हम तुमसे......  तेरे नाम के बिना मुझे सांस भी न आये होंठों पर भी बस तेरी ही हर बात माँगते हैं हम तुमसे....... कभी थमने ही न पाए मेरी आँखों से यह पानी भीगती सी सुलगती सी हम बरसात माँगते हैं हम तुमसे ......... अब हमको आ रहा है दर्दों का थोड़ा ज़ायक़ा हम तुमसे सब दर्द तेरे भी खैरात मांगते हैं हम तुमसे ........ पल पल सुलगने का भी हमको शौक़ हो रहा अब दर्द लिखने अश्कों की स्याही की इक दवात मांगते हैं तुमसे हम अब अश्कों की सौगात माँगते हैं तेरी याद में जो गुज़रे रोकर वही रात माँगते हैं

प्रेम

*प्रेम* प्रेम  वास्तव में इस शब्द को कहने की भी योग्यता नहीं मुख से उचारण की भी योग्यता नहीं कहाँ समेट सकते हम इस धन को ठहरो ठहरो एक बार पुनः निर्णय करो क्यों प्रेम लुटा रहे इस कलुषित जीव पर यह धन कहाँ समेटा जाए मलिनता भरी कोठरी में जहाँ जन्म जन्म की धूल जन्म जन्म की गन्दगी यह मन चित्त प्राण  सब कलुषित हो चुके भयावह दुर्गन्ध में  यह प्रेम का कोमल पुष्प नहीं नहीं पुनः निर्णय करो कलुषित हृदय बुध्दि का विस्तार दुर्गन्ध युक्त आवरण नहीं नहीं तनिक भी सहजता नहीं कोई योग्यता ही नहीं  इस धन को समेटने की किस भाँति निहार सकें अपने हृदय को भी झुक जाते हैं यह नेत्र सकुचा जाती है यह बुद्धि लड़खड़ाने लगती है यह जिव्हा कौन भाँति  नाथ ! कौन भाँति यह भी सम्पूर्ण परिचय नहीं मेरी दुर्वासनाओं का तुमसे कुछ छिपा नहीं तुम्हारा धन तुम ही रखो........

कृष्णअनुरागिनी राधा

कृष्णानुरागिनी श्रीराधा कृष्णसुवासिनी श्रीराधा कृष्णमाधुरी श्रीराधा कृष्णसागरी श्रीराधा कृष्णामहोदधि श्रीराधा कृष्णपयोधि श्रीराधा कृष्णवल्लरी श्रीराधा कृष्णचातुरी श्रीराधा कृष्णआनन्दा श्रीराधा कृष्णसुगन्धा श्रीराधा कृष्णभामिनी श्रीराधा कृष्णस्वामिनी श्रीराधा कृष्णप्रेममूर्ति श्रीराधा कृष्णरसापूर्ति श्रीराधा कृष्णमनोहरा श्रीराधा कृष्णसुखसारा श्रीराधा कृष्णविलासिनी श्रीराधा कृष्णहियवासिनी श्रीराधा कृष्णतरँगा श्रीराधा कृष्णसुखसङ्गा श्रीराधा कृष्णाराधिका श्रीराधा कृष्णसुखसाधिका श्रीराधा कृष्णतरंगिनी श्रीराधा कृष्णसंगिनी श्रीराधा कृष्णसुखराशिनी श्रीराधा कृष्णकृष्णभाषिणी श्रीराधा कृष्णसमाहित श्रीराधा कृष्णउरराजित श्रीराधा कृष्णहियमोहिनी श्रीराधा कृष्णउरसोहिनी श्रीराधा कृष्णवामांगिनी श्रीराधा कृष्णसुगन्धिनी श्रीराधा जोई कृष्ण सो राधा होई कृष्ण राधा को भेद न कोई रटना लगै नित्य युगलनाम बाँवरी युगल चरण विश्राम

कौन मन्द्भागी

हरिहौं कौन मो सम मन्दभागी छांड चिंतामणि नाम अमोलक जगति विषयन भागी बिरथा कीन्ही स्वासा स्वासा हरि गुरु चरण न प्रीति लागी जनम जन्म रही भव निद्रा सोवत क्षणहुँ नाँहिं जागी बाँवरी हिय राग भोग कौ गाढ़ो भई विषय वासना रागी पशुता जन्म जन्म की बाँवरी इक क्षण नाँहिं त्यागी

बंजर धरती

हरिहौं बाँवरी बन्जर धरती बिरथा कीन्ही स्वासा स्वासा न हरि कौ नाम सुमिरती सद्गुरु अतिशय कृपा सौं बीज दियो भक्तिन कौ बोई जगति दौरे फिरै बाँवरी हरिनाम बेलि की सेवा न होई सूखत जात नाम बेलि हिय मूढ़े अधमा अबहुँ जाग शरण कीन्हीं कृपालु गुरुवर कर सन्तन चरणन अनुराग

जयजय रससारिणी

*जयजय रसारिणी* *जयजय रसविस्तारिणी* *जयजय नवले* *जयजय विमले* *जयजय श्रीकुंजबिहारणी* *जयजय मृदुले* *जयजय चपले* *जयजय पियउरधारिणी* *जयजय श्रीकुंजबिहारणी* *जयजय सुरंगिनी* *जयजय तरंगिनी* *जयजय केलिरसविस्तारिणी* *जयजय श्रीकुंजबिहारणी* *जयजय नवभामा* *जयजय सुखधामा* *जयजय मोदकारिणी* *जयजय श्रीकुंजबिहारणी* *जयजय केलिप्रवीने* *जयजय रसनवीने* *जयजय तापनिवारिणी* *जयजय श्रीकुंजबिहारणी* *जयजय भामिनी* *जयजय केलिकामिनी* *जयजय रासबिहारिणी* *जयजय श्रीकुंजबिहारणी* *जयजय छबीली* *जयजय रसीली* *जयजय नवलश्रृंगारिणी* *जयजय श्रीकुंजबिहारणी*

रसिकनी रसीली

रसिकनी रसीली लड़ैती रस सागरी कृष्ण सुखकारिणी नवल रस गागरी केलि प्रवीणा नित्य नवल विलास करै पिय उर राजिनी लड़ैती नव नागरी रसिकनी....... निकुंज बिहारिणी लड़ैती रस सारिणी निरखत पिय चित्त उठत उमाग री रसिकनी........ नवल रसीले दोऊ भीजत रस वर्षत घन नाचत थिरकत दोऊ संग धरत पाग री रसिकनी........ अलियन हिय मोद बढै ज्यों ज्यों नव रंग ढरै मुदित हर्षित केलि गाय सखी बाँवरी रसिकनी रसीली लड़ैती रस सागरी रसिकनी रसीली लड़ैती रस सागरी

रसिक धनी

रसिक धनी प्रिया हियमणि सांवल श्रीचित्त चोर रसीली प्रिया चंदिनी के रसीले पिय चकोर नित्य नवल केलि करत नित्य नवल रास रचत बढ़ बढ़ दुहुँ सुखी करत रस देन की लगी होर रसिक धनी..... नित्य नवल भामिनी नित्य नवल रसिक चन्द्र नूतन श्रृंगार करत नवल रस नित्य नवल भोर रसिक धनी ........ भामिनी रसीली जु के नित्य नव कान्त मदन प्रिया चरण निरखत ही मुदित हिय रस विभोर रसिक धनी ........ जाको हिय धन राधा जाकी प्रति स्वास राधा मांगत नित्य सेवा मोहन अलियन सौं करें निहोर रसिक धनी........ मोहन को धन राधा राधा को धन मोहन अलियन को धन नित्य नवल किशोरी किशोर रसिक धनी प्रिया हियमणि सांवल श्रीचित्त चोर रसिक धनी .......

कोई नाम टेर

कोई नाम टेर सुनावो री बिरहन के प्राण बचावो री नदिया तज गये नदिया नागर कोई जाकर हाल बतावो री बिरहन की सुधि लीजो नागर निशिदिन बहता अश्रु सागर करे रैन दिवस बिरहन क्रन्दन इक क्षण कोई आय मनावो री बिरहन के प्राण.... कोई नाम ........ बिरहन के हाय प्राण चले दिन रैन विरह की अग्नि जले क्षण भर भी न प्रिय बिसरे कोई आकर धीर धरावो री बिरहन के प्राण.... कोई नाम ....... छाय रही घोर अमावस काली बिरहन की क्या होली दीवाली प्राणों की भी जिसे सुधि नहीं आशा के दीप जलावो री बिरहन के प्राण ........ कोई नाम ........ नदिया का हाय चाँद छिपा चहुँ ओर घोर अंधियारा बिखरा हुई रैन दिवस अमावस काली कोई धीरज जरा बंधावो री बिरहन के प्राण...... कोई नाम .........

कीजौ कृपा की कोर

हरिहौं कीजौ कृपा की कोर सन्त भक्तन चरण रेणु पाय बाँवरी कबहुँ होय विभोर मुख सौं नाम न निकसै नाथा क्षण क्षण लागै जगति दौर नाम की डोरी बाँधो नाथा बाँवरी पतित अधमन सिरमौर

8 to 11

सखी री निताई परम् धन हिय नित्य गौर प्रेम मग्न गौर नाम सुनि लय पग धूरि निताई बाँवरी जीवनधन मूरि निताई नाम परम् प्रेम तरँग निताई नाम मारे जगति भुजंग निताई नाम परम् प्रेम सिन्धु निताई  बलि नयन बहे इन्दु निताई नाम साँचो प्रेम रस सार निताई चाँद परम् करुणावतार निताई नाम परम् प्रेम ज्वार निताई निताई बलि होय उद्धार सखी री आमार निताई पागल सखी री आमार निताई पागल सखी री आमार निताई पागल पिये प्रेम वारुणी फिरै मदमस्त नाचत नाचत होय प्रेम विभोर नटवर नीलवसन गौर प्रेमोन्मत सखी री आमार निताई दयाल करुणासिन्धु अतिहि प्रेम रसाल पात्र कुपात्र नाँहिं करत बिचार गौरप्रेम वितरक करुण कृपाल सखी री आमार निताई प्रेम पयोधि निताई कृपा होय सौं सर्व सिद्धि निताई कृपा सौं पाये हिय प्रेमधन निताई पागल आमार प्रेम मग्न सखी री आमार निताई पागल सखी री आमार निताई पागल सखी री सर्व रूप वास निताई करै सर्व हिय प्रेम प्रकाश निताई निताई स्वरूप परम् धन सेवा निताई गुनमणि प्रेम धन देवा निताई करुणामयी अदोष दर्शित सुनि सुनि नाम गौर होय हर्षित परम् प्रेम सुधा बांटत अयाचित कुपात्र कोऊ न बिचारे कदाचित ऐसा कौन होय दयाल जग माहिं प्रेम बांट...

निताई पागल 1 to 7

*आमार निताई पागल* सखी री आमार निताई पागल दुइ भुज उठाय गाय हरि बोल नाचे रुनक झुनक हिलि हिलि सखी री आमार निताई पागल सखी री धारे निताई नील वसन नाचे नाचे होय प्रफुल्ल बदन मृदु मुस्कन चंचल नयन कोरा सखी री पगला निताई मोरा सखी री नाचे दोय भुज उठाय नाम मुख से हरि हरि गाय सखी री प्रेम भोर निताई मोरा प्रेम मगन गाय गौरा गौरा सखी री निरखै नयनन कोरा नयनन भरी राखै प्रेम मदिरा पीवत पीवत सखी नाँहिं अघावै हँसे कबहुँ नयनन बहे प्रेम सरिता सखी री आमार निताई पागल सखी री आमार निताई पागल सखी री गिरि गिरि धूरि पलोटत हा हा गौरा गौर चन्द्र मुखे बोलत दुई नयन बहै सखी अश्रु धारा  पागल निताई आमार प्राणन प्यारा सखी री रोय रोय धरे न धीरा कबहुँ मौन भये मुख गम्भीरा सखी री पगला निताई आमार निताई बाँवरी कौ प्राण आधार सखी री गौर नाम टेर सुनावो पागल निताई को धीर धरावो सखी री नाम गौरहरि कौ सार निताई प्राणन कौ नित्य आहार सखी री आमार निताई पागल सखी री आमार निताई पागल सखी री दोऊ भुज उठा नाचे निताई नाचो नाचो मंगल मंगल घड़ी आई हरि हरि बोले नाचे गलमाल झूले प्रेम सुधा मत्त दो नयन फूले फूले सखी री निताई भये प्रेम भोरा हरि हरि बोल...

बिगरी न बनत हमारी

हरिहौं बिगरी न बनत हमारी छांड नाम भजन की रीति बिरथा जन्म बिगारी कान पड़े न सन्तन कौ बातां क्षणहुँ नाय बिचारी हा हा नाथ बिरथा सब स्वासा जन्मन जन्मन भारी बाँवरी ढोंगी पतित अति निर्लज्ज हृदय शुष्क अति खारी छांड जगति की दौर बाँवरी नाम हरि कौ गा री

मन माया कौ दास

हरिहौं कबहुँ मन पकरै तव नाम बिरथा दिखावै भोग जगति कै, कबहुँ होय भोगन सौं उपराम नाम ही डोर पकरै कबहुँ, कबहुँ होय स्वास स्वास हरिनाम मानुस जन्म करै बिरथा बाँवरी ,प्यारे लागै भोगन चाम हा हा बाँवरी भई चमारी , मुख सौं निकसै नाँहिं तेरो नाम आपहुँ जगति के फन्द मोरे काटो, नाथा मेरो निताई राम

माया कौ दास

हरिहौं भयो मन माया कौ दास अपनी वस्तु काहे छाडे हो नाथा राखो चरणन पास पकरि पकरि हरि चपत लगाओ कियो बड़ो उपहास जोर लगावै बुद्धि अपनी कौ तुम्हरी कृपा नाँहिं करै बिस्वास हा हा नाथा बाँध लेयो कसि कसि करै निज बल बुद्धि प्रकास बुद्धिहीन बलहीन करो बाँवरी दासी राखो चरणन दास

रट री रसना

रटना रट री श्रीहरिदास यहि नाम सौं प्रकटे सकल प्रेम रास यहि नाम सौं छूटे बाँवरी भव त्रास यहि नाम हिय करै नित्य प्रेम विलास

दूजो मन कहाँ पाऊँ

हरिहौं दूजो मन कहाँ पाऊँ एक मलिन होय अति भारी किस विध भजन लगाऊँ आपहुँ करो सम्भार मोरी नाथा अबहुँ कौन द्वारे जाऊँ कौन ठौर होय नाथा मोरी जहाँ जाय जाय चिल्लाऊँ एकै नाम तिहारो निताई रामा बस मुख सौं हर क्षण गाऊँ याहि अरज़ा करै बाँवरी दासी नाँहिं निताई नाम बिसराऊँ

रुनझुन घुँघरू

रुनझुन रुनझुन घुंघरू बाजत नाचत गौरा राय रे साथ नित्यानन्द प्रभु गदाधर मिलि हरि हरि गाय रे परम् प्रेम बांटत अयाचत सहज करुण सुभाय रे हरि हरि बोले नाचे नाचे गौर दुहुँ भुज उठाय रे भई प्रसन्न विरहणी बाँवरी देख देख हर्षाय रे पुलक पुलक हँसे लेत बलैयां प्रिया मृदु मुस्काय रे

काची हमारी डोरी

हरिहौं काची हमरी डोरी कौन विध बांधे बाँवरी बलहीना सुनियो अरजा मोरी तुम्हरी डोरी पाकी नाथा तुमहिं बाँधो आपहुँ पकरि हमरो बल न कछु होय नाथा तुमहिं राखो जकरि तुम्हरौ पकरन हमहुँ नाय भाजै कोटि खीँचे माया हमरो दौर तुम्हरे चरणन हरि दीजौ चरणन छाया

देयो नाम कौ धन

हरिहौं देयो नाम कौ धन पतित भिखारिन जन्म जन्म सौं बिना नाम निर्धन नाम की पूँजी साँची नाथा कबहुँ बाँवरी चित्त लाय कूकरी भोगी जन्म जन्म सौं जगति विष्ठा पाय हा हा नाथा आपहुँ राखो पकरि पकरि इक बेर नासै ताप जन्म जन्म कौ मिट जावै सकल अंधेर

मन भजन चोर

हरिहौं यह मन भजन कौ चोर भोग पदार्थ नीके लागे बाँवरी जगति राखै दोर जगति राखै दोर बाँवरी कछु सुने न सन्तन बात बिरथा कीन्हीं स्वासा मूढ़ा जीवन अनमोल गमात कौन भाँति दसा सुधरै न हरि गुरु चरण मन लाय ढोंगी पाखण्डी घोर प्रपंची रही झूठो स्वांग बनाय

बाँवरी न भजन सुहाय

हरिहौं कबहुँ बाँवरी भजन सुहाय विष्ठा कीट जन्म जन्म सौं भोग विषयन भाय जगति पदारथ रुचि राखै न करे भजन की बात  सन्त चरण रज न सुहावै मूढ़ा भोग विषय लपटात हरिहौं आपहुँ देयो चपत एक भव निद्रा छुट जाय धिक धिक ऐसा जीवन बाँवरी स्वासा रहै गमाय

पाथर हिय

हरिहौं पाथर हिय कठोर कबहुँ नाम लेय द्रवै चित्त होय प्रेम रस भोर कबहुँ नाम सौं प्रीति उपजै कबहुँ नाम रस पावै छांड भोग विषयन बाँवरी नाम हरि कौ गावै हा हा नाथ भई दुर्गति बिन नाम भजन कंगाल उठ री बाँवरी भव निद्रा सौं छांड जगति जंजाल

हिय ताप बढ़ै

हरिहौं कबहुँ हिय ताप बढ़ै निहार मुख दर्पण माहिं बाँवरी कबहुँ भूमि गढै कबहुँ उतरै मलिन हिय सौं जन्म जन्म कौ धूर कबहुँ हिय नाम उपजै साँचो फिरै विषयन मद चूर हरिहौं आपहुँ लेयो बचाय नाँहिं बाँवरी कोऊ ठौर नयनन नीर कबहुँ बहाय बाँवरी भजै निताई गौर

खोटी कमाई

हरिहौं बाँवरी कीन्हीं खोटी कमाई स्वास अमोलक हरिनाम न कीन्हा माया रहै भरमाई मद अभिमान सिर चढ़ बोले अपनी औकात भुलाई पतित विषय भोगी अति कामी बिरथा रहै चिल्लाई हरिहौं फोरो मद की मटकी फिरै बाँवरी सीस उठाई बोझा जन्म जन्म कौ भारी मूढ़े सगरी पाप कमाई

भोग विषय

हरिहौं भोग विषय सिर चढ़ बोले नाम विहीना पतित बाँवरी अपनी पोलन खोले कूकर नाँहिं हरिहौं चौखट तिहारी मद अभिमान घोरा विरथा कीन्हीं सगरी स्वासा चित्त माया कौ डोरा हा हा नाथ अबहुँ बिलपत रही जनमन जन्म बिसराई बाँवरी खोल पोल अबहुँ सगरी कीन्हीं पाप कमाई

बाँवरी ढोंगी

हरिहौं बाँवरी ढोंगी होय भारी सूकरी पतित भक्त अपराधिन मुख सौं देवत गारी भव निद्रा रही जनमन सोवत अबहुँ नाय उबारी कान देय न सुनै हरि गुरु वाणी बिरथा होय ख़्वारी बनत न देत चुकाई नाथा होय विषयन गठरी भारी फिरै जगति अभिमान विषय मद असल न होय भिखारी

पाथर चित्त

हरिहौं काहे न पाथर चित्त द्रवै जनमन जन्म पतित अति पामर बाँवरी न हरिनाम लवै नाम लेत न होय चित्त अधीरा न कबहुँ नयन बहै लोभी जगति माया की बाँवरी न सन्तन चरण रहै हा हा नाथ किस विध होय उधारा बाँवरी न हरि भजै पकरि पकरि देयो चपत लगाय बाँवरी न अभिमान तजै

भक्तन अपराधी

हरिहौं बाँवरी भक्तन अपराधी माया भृमित पतित अति पामर कबहुँ चित्त न साधी नाम भजन की रीति बिसराई किये अपराधन कोटि स्वास अमोल बिरथा गए सगरै बाँवरी नीयत खोटी हा हा नाथ नाँहिं बल कोय आपहुँ करो सम्भारा अपनो बल राखी बाँवरी झूठा जनमन जन्म बिगारा

बाँवरी ढोंगी

हरिहौं बाँवरी ढोंगी होय भारी सूकरी पतित भक्त अपराधिन मुख सौं देवत गारी भव निद्रा रही जनमन सोवत अबहुँ नाय उबारी कान देय न सुनै हरि गुरु वाणी बिरथा होय ख़्वारी बनत न देत चुकाई नाथा होय विषयन गठरी भारी फिरै जगति अभिमान विषय मद असल न होय भिखारी

नित्य नव उत्सव

नित्य नव उत्सव नित्य नव दूल्हु नित्य दुल्हिनी अलबेलि नित्य नवल मधुरिमा नित्य नवल रस केलि नित्य नव हिंडोरा नित्य नव नव झूम नित्य नवल झकोरे लेत युगल भुजमेलि नित्य नव तृषा न...

किस तरह दर्द

किस तरह दर्द तेरा देख पाएँगे हम तेरे अश्कों को अपनी आँखों से बहाएंगे हम वो बरसातें जो भरी हैं तेरी आँखों में कहीं उन्हीं बरसातों में भीग कर अब नहाएंगे हम किस तरह दर्द...... देकर म...

झूमकर आएं हैं

झूम कर आये हैं अब तेरे मयखाने में हम जाने क्यों सुलगने की तम्मना मुझमें बाक़ी है एक एक जाम ने दिया है कुछ सुरूर हमको थोड़ी पीकर बहकने की तम्मना मुझमें बाकी है यह तपिश इश्क़ की सच ...

आसान नहीं

आसान नहीं नहीं आसान नहीं बिल्कुल भी यह सँग तुम्हारा नहीं तुम्हारे प्यारों का सँग हाँ सच उनकी सहजता उनकी कोमलता उनकी सुगन्ध उनकी मृदुलता क्षण भर को भी छू लेती है न तो ग्लानि ...

भोगन

हरिहौं भोगन कौ ब्यौहार जन्म जन्म की बिगरी बाँवरी कछु न भ्यो सुधार हरिनाम भजन की रीति बिसराई नीको जगति सँसार दिन दिन जावै धँसी बाँवरी किस विध बनै निकार हरिनाम की न बनै उतराई ...

हा हा करत बौराई

हा हा करत बाँवरी बौराई दीखे न चरण नवल श्यामा कौ ,निर्धन दासी अकुलाई धन तो चरण तिहारे स्वामिनी, काहे दासी राखी निर्धन कौन भाँति चरण रज पाऊँ तिहारी ,कंगाल बाँवरी कौ धन हा हा करत ...

बाँवरी न भजन सुहावै

हरिहौं बाँवरी न भजन सुहावै जगति भोग सौं रुचि गाढ़ी भाजी इत उत जावै होवै प्रमाद नाम भजन कौ सदा करै अपनी मनमानी हृदय भरा लोभ भोगन कौ भारी रहै भक्ता रूप दिखानी धिक धिक बाँवरी ऐस...

बाँवरी समय बिगारी

हरिहौं बाँवरी समय बिगारी भोग जगति के लागै नीके हरिभजन लगै अति खारी करै प्रमाद हरिनाम भजन कौ सन्तन कौ कान न देवै बिरथा करै अपनी मनमानी किस विधि हरि कौ सेवै हा हा बाँवरी भोगन ...

सन्त हृदय होय उदारा

सन्त हृदय होय अति उदारा पकरि पकरि अधम जन सारे भव सौं करते पारा कोमल हृदय परम उपकारी वाणी बहै रस धारा सुनि सुनि सकल भव ताप नासै कौन करै बिचारा सन्त समान न तरुवर कोय मीठे फल मीठ...

श्रीगुरु चरण प्रीति

श्रीगुरु चरण प्रीति बिन हरि प्रीति नाँहिं उर आय श्रीगुरु चरण सकल निधि देय भव बन्ध छुड़ाय श्रीगुरु चरण की प्रीति शुद्ध जाके हिय उपजाय कोटिन कोटि जन्म की भक्ति कौ फल सोई पाय श...

सन्तन कौ सँग

हरिहौं देयो सन्तन कौ सँग जिनकी परम कृपा सौं उपजै हिय भक्ति कौ रँग भक्ति कौ रँग जब लागै बाँवरी तबै मीठा लगै हरिनाम हरिनाम ही साँचो धन होय न रहै बिरथा जगति सौं काम हरिहौं सन्त...

राधा प्यारी

राधा प्यारी नवल सुकुमारी करत दृगन सौं बात मदन रस विवश भ्यै मोहन सहत न प्रेम की घात अधर सुरँग रँगे अनियारे झलमल करै नक बेसर कुंदन मणि अलंकृत टीको नवल श्रृंगार रही धर निलाम्ब...

बिरथा चिंता छोर

मनवा बिरथा चिंता छोर कर लेय प्रीति हरि चरण सौं , हरि सौं नाथा जोर काहे हिय भरि राखी बाँवरी बिरथा जगति पसारा हरि कौ नाम ही धन साँचा मूढ़े दिया बिसारा हरि हरि भज पतित बाँवरी हिय भ...

चंचल चित्त रह्यो विषयन लाग

हरिहौं चंचल चित्त रहै विषयन लाग पकरि पकरि राखूं मैं निर्बल पुनि पुनि जावै भाग जन्मन रहै विषयन की प्रीति न हरि सौं भ्यो अनुराग कौन भाँति जड़ता छुटै बाँवरी हिय पावै हरिप्रेम ...

लगै जगति कौ स्वाद

हरिहौं लगै जगति कौ स्वाद नाम भजन की रीति बिसराई बाँवरी बिरथा करै बकवाद हरि भजन सौं चित्त न भीजै नाँहिं हरि की आवै याद नीको लागै मिथ्या देह सुख जामै भरी विष्ठा मवाद

जन्मन मेल भरी

हरिहौं जन्मन मैल भरी छांड भजन की बात बाँवरी जगति फिरै निकरी जन्म जन्म गमाई मूढ़े कबहुँ हरि सौं  चित्त न लाई धिक धिक तेरो जीवन बाँवरी स्वासा स्वास गमाई हा हा नाथ पतित बाँवरी अ...

अधम जन भारी

हरिहौं होऊँ अधम अति भारी गुरु कृपाल पतित अपनाए न बिगरी दशा बीचारी परम धन हरिनाम कौ पाया सन्त गुरु हितकारी जय गुरु जय गौरनिताई रहै बाँवरी चरण रज तिहारी हरिनाम की पूंजी बाढ़ै ...

बरसाना में प्रकटी किशोरी

नित्य लीला करत मेरी भोरी बरसाना में प्रकटी किशोरी श्यामसुंदर सँग मुदित विराजै नित्य नवल जोरि यह साजै श्याम सांवल राधिका गोरी बरसाना में ....... सखी निरख निरख सुख पाऊँ मुख श्या...

भोगन कौ ब्यौहार

हरिहौं भोगन कौ ब्यौहार जन्म जन्म की बिगरी बाँवरी कछु न भ्यो सुधार हरिनाम भजन की रीति बिसराई नीको जगति सँसार दिन दिन जावै धँसी बाँवरी किस विध बनै निकार हरिनाम की न बनै उतराई ...

कत्ल कर मेरा

कत्ल कर मेरा फिर हाल पूछते हैं जानते हैं जवाब फिर सवाल पूछते हैं हम तो मर चुके उनकी इसी अदा पर क्या है इस बारे वो ख्याल पूछते हैं बस इक नज़र निहार कर हमने क्या जी लिया जाम इश्क़ वा...

मेरे दिल मे रहकर

मेरे दिल मे रहकर मुझसे पर्दा मेरी सरकार करते हैं जाने क्यों ऐसा वो बार बार करते हैं। खामोशियों में आकर छेड़ जाते हैं बात इश्क़ की सम्भले से दिल को जाने क्यों बेकरार करते हैं म...

मोरी स्वामिनी अलबेली

*मोरी स्वामिनी अलबेली* *नवल किशोरी नवल रसीली* *नवल श्रृंगार भामिनी गरबीली* *नवल रसरंग नवल सरसीली* *नवल पुलक नवल सजीली* *नवल चौंप नवल रसकेलि* *नवल प्रियतम नवल रसझेलि*

स्वामिनी कौन भाँति बिसराई

स्वामिनी कौन भाँति बिसराई जैसो कैसो तिहारी स्वामिनी काहे दीन्हीं भुलाई हौं अधम दीन अति पामर बाँवरी कछु बल न पाई हा हा करत लड़ैती मोरी चितवो नाँहिं अधमाई अपनो जन निहारो स्व...

हमको भी जलना है

हमको भी जलना है तेरे इश्क़ की आग में अपना वजूद जलाकर मुस्कुरायेंगे हम हमको मोहब्बत है इश्क़ के अश्कों से सुलगते से हुए चंद अश्क़ बहाएंगे हम हमको भी जलना है..... रह रह कर हूक सी उठती ...

वँशी लीला

श्यामसुन्दर अपनी प्राण प्रियतमा का नाम अपने अधरों पर विराजित वंशी में उतार रहे हैं। हृदय विरह वेदना से ऐसा छेदित सा हुआ है मानो हृदय का सम्पूर्ण आह्लाद ही वंशी में भर भर रव ...

तुम सौं कौन उदार

तुमसौं कौन उदार लड़ैती तुमसौं कौन उदार अधम पतित जन रही अपनाई कीन्हीं नहीं विचार लड़ैती तुमसौं कौन उदार करुणामूर्ति राधे किशोरी करुणाचित्त दयाला रटत नाम तिहारा स्वामिनी स...

पिय बिन बौराई

सखी री पिय बिन मैं बौराई खान पान कछु नाँहिं सुहावै न भावै लोक लोकाई अम्बवा की डारी कोयलिया कूके बिरहन कौ हिय पुनि पुनि हूके आयो न कोऊ सन्देस पिया कौ बैठी आस लगाई सखी री पिय बि...

जस गावो री

जस गावो री प्रियतम प्यारी कौ ,जस गावो री कौन भाँति खेल करै नवल रँग सौं ,छिन्न छिन्न टेर सुनावो री अलियन नयन पीबत मकरंद सदा , तृषित चकोर बलि जावो री हिय निकुंज बसै नित्य नवल जोरि, ...

अलियन खेल करे

अलियन खेल करै बहु भाँति, पिय प्यारी लाड लड़ावन हेत पियप्यारी खेल करै बहु भाँति, अलियन हिय कौ सुख देत जय जय पियप्यारी कहत मुख सौं ,अलियन युगल बलिहारी लेत  खेलो नाचो नव नव रँग हि...

नेह की डोरी

हरिहौं नेह की डोरी काँची भोगी कीट जगत विलासी हमरौ प्रीति न साँची तुम्हरी प्रीति होय साँची नाथा तुमहिं करौ निबेरौ चरणन बांध राखो निज नाथा परै न जगति फेरौ साँचो नाथ बिसराई ब...