तुम सौं कौन उदार
तुमसौं कौन उदार लड़ैती
तुमसौं कौन उदार
अधम पतित जन रही अपनाई कीन्हीं नहीं विचार
लड़ैती तुमसौं कौन उदार
करुणामूर्ति राधे किशोरी करुणाचित्त दयाला
रटत नाम तिहारा स्वामिनी सीतल भ्यै भव ज्वाला
काहे बाँवरी रही बिसराई सुन लीजौ अबहुँ पुकार
लड़ैती तुम सौं कौन उदार........
हा हा करत स्वामिनी अबहुँ कोई बल नहीं मेरा
जन्म जन्म बिसराई स्वामिनी साँचो नाम है तेरा
नाम की नाव जो बैठा स्वामिनी उतरा भव सौं पार
लड़ैती तुमसौं कौन उदार........ .
विषय ज्वाल मोहे रहै तपाई कौन भाँति शीतल होय
तुम्हरै चरण कमल पकरि बाँवरी बैठी अबहुँ रोये
तुम ही हो करुणामयी लाडली मेरी सच्ची सरकार
लड़ैती तुम सौं कौन उदार.......
अपने चरणन राखिहो स्वामिनी कीजौ चरणन चेरी
दासी विनय करै कर जोरि देरी भई बहुतेरी
तुम बिन कौन किशोरी मेरा जाऊँ जिस दरबार
लड़ैती तुमसौं कौन उदार........
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