कोई नाम टेर
कोई नाम टेर सुनावो री
बिरहन के प्राण बचावो री
नदिया तज गये नदिया नागर
कोई जाकर हाल बतावो री
बिरहन की सुधि लीजो नागर
निशिदिन बहता अश्रु सागर
करे रैन दिवस बिरहन क्रन्दन
इक क्षण कोई आय मनावो री
बिरहन के प्राण....
कोई नाम ........
बिरहन के हाय प्राण चले
दिन रैन विरह की अग्नि जले
क्षण भर भी न प्रिय बिसरे
कोई आकर धीर धरावो री
बिरहन के प्राण....
कोई नाम .......
छाय रही घोर अमावस काली
बिरहन की क्या होली दीवाली
प्राणों की भी जिसे सुधि नहीं
आशा के दीप जलावो री
बिरहन के प्राण ........
कोई नाम ........
नदिया का हाय चाँद छिपा
चहुँ ओर घोर अंधियारा बिखरा
हुई रैन दिवस अमावस काली
कोई धीरज जरा बंधावो री
बिरहन के प्राण......
कोई नाम .........
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