सन्तन कौ सँग

हरिहौं देयो सन्तन कौ सँग
जिनकी परम कृपा सौं उपजै हिय भक्ति कौ रँग
भक्ति कौ रँग जब लागै बाँवरी तबै मीठा लगै हरिनाम
हरिनाम ही साँचो धन होय न रहै बिरथा जगति सौं काम
हरिहौं सन्तन चरण रज पाऊँ निशिदिन हृदय रहै रस धार
जय जय गुरुवर सन्त कृपाला करत अधम जनन भव पार

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