कबहुँ ऐसो होय भाग

हरिहौं कबहुँ होय ऐसो भाग
श्रीवृन्दावन रटन बनै जिव्हा सौं होय युगल चरण अनुराग
होय युगल चरण अनुराग मिलै युगल चरण ख़्वासी
करौ कृपा हे रजरानी निर्धन पर भिक्षा याचत दासी
रसिकन चरण रज नित शीश चढ़ाऊँ निरखै युगल माधुरी
निर्धन कौ कबहुँ मिले परम् धन यहि मांगै दासी बाँवरी

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