कौन मन्द्भागी

हरिहौं कौन मो सम मन्दभागी
छांड चिंतामणि नाम अमोलक जगति विषयन भागी
बिरथा कीन्ही स्वासा स्वासा हरि गुरु चरण न प्रीति लागी
जनम जन्म रही भव निद्रा सोवत क्षणहुँ नाँहिं जागी
बाँवरी हिय राग भोग कौ गाढ़ो भई विषय वासना रागी
पशुता जन्म जन्म की बाँवरी इक क्षण नाँहिं त्यागी

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